Chapters
Chapter 2: एक दल के प्रभुत्व का दौर
Chapter 3: नियोजित विकास की राजनीति
Chapter 4: भारत के विदेश संबंध
Chapter 5: कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना
Chapter 6: लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
Chapter 7: जन आंदोलनों का उदय
Chapter 8: क्षेत्रीय आकांक्षाएँ
Chapter 9: भारतीय राजनीति : नए बदलाव
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Chapter 2: एक दल के प्रभुत्व का दौर
NCERT solutions for Political Science Class 12 [राजनीति विज्ञान - स्वतंत्र भारत में राजनीति १२ वीं कक्षा] Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर प्रश्नावली [Pages 44 - 45]
सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें:
1952 के पहले आप चुनाव में लोकसभा के साथ - साथ ______ के लिए भी चुनाव कराए गए थे।
भारत के राष्ट्रपति पद
राज्य विधानसभा
राज्य सभा
प्रधानमंत्री
सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें:
______ लोकसभा के पहले आम चुनाव में 16 सीटें जीतकर दुसरे स्थान पर रही।
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
भारतीय जनसंघ
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
भारतीय जनता पार्टी
सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें:
______ स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धांत था।
कामगार तबके का हित
रियासतों का बचाव
राज्य के नियंत्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था
संघ के भीतर राज्यों की स्वायत्तता
यहाँ दो सूचियाँ दी गई हैं। पहले में नेताओं के नाम दर्ज़ हैं और दूसरे में दलों के। दोनों सूचियों में मेल बैठाएँ:
(क) | एस. ए. डांगे | (१) | भारतीय जनसंघ |
(ख) | श्यामा प्रसाद मुखर्जी | (२) | स्वतंत्र पार्टी |
(ग) | मीनू मसानी | (३) | प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
(घ) | अशोक मेहता | (४) | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ एक बयान लिखे गए हैं। बयान के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ:
विकल्प के रूप में किसी मजबूत राजनितिक दल का अभाव एकल पार्टी - प्रभुत्व का कारण था।
सही
गलत
एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ एक बयान लिखे गए हैं। बयान के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ:
जनमत की कमजोरी के कारण एक पार्टी का प्रभुत्व कायम हुआ।
सही
गलत
एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ एक बयान लिखे गए हैं। बयान के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ:
एकल पार्टी - प्रभुत्व का संबंध राष्ट्र के औपनिवेशिक अतीत से है।
सही
गलत
एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ एक बयान लिखे गए हैं। बयान के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ:
एकल पार्टी - प्रभुत्व से देश में लोकतान्त्रिक आदर्शो के अभाव की झलक मिलती है।
सही
गलत
अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग निति अपनाई होती? इन दोनों दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के बीच तीन अंतरों का उल्लेख करें।
कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।
क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतान्त्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ?
समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएँ। इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अंतरों का उल्लेख करें।
भारत और मैक्सिको दोनों ही देशों में एक खास समय तक एक पार्टी का प्रभुत्व रहा। बताएँ की मैक्सिको में स्थापित एक पार्टी का प्रभुत्त्व कैसे भारत के एक पार्टी के प्रभुत्त्व से अलग था?
भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हों) और उसमें निम्नलिखित को चिन्हित कीजिए:
- ऐसे दो राज्य जहाँ 1952 - 67 के दौरान कांग्रेस सत्ता में नहीं थी।
- दो ऐसे राज्य जहां इस पूरी अवधि में कांग्रेस सत्ता में रही।
निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कांग्रेस के संगठनकर्ता पटेल कांग्रेस को दूसरे राजनितिक समूह से निसंग रखकर उसे एक सर्वांगसम तथा अनुशासित राजनितिक पार्टी बनाना चाहते थे। वे चाहते थे की कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुशासित कॉडर से युक्त एक सगुंफित पार्टी के रूप में उभरें। 'यथार्थवादी' होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुशासन को ज़्यादा तरजीह देते थे। अगर "आंदोलन को चलाते चले जाने" के बारे में गाँधी के ख्याल हद से ज़्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चलने वाली अनुशासित तथा धुरंधर राजनितिक पार्टी के रूप में बदलने की पटेल की धारना भी उसी तरह कांग्रेस की उस समन्वयवादी भूमिका को पकड़ पाने में चूक गई जिसे कांग्रेस को आने वाले दशकों में निभाना था।
- रजनी कोठरी
- लेखक क्यों सोच रहा है की कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए?
- शुरूआती सालों में कॉंग्रेस द्वारा निभाई समन्वयवादी भूमिका के कुछ उदाहरण दीजिए।
Chapter 2: एक दल के प्रभुत्व का दौर
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