CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Syllabus - Free PDF Download
CBSE Syllabus 2023-24 Class 12 [१२ वीं कक्षा]: The CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Syllabus for the examination year 2023-24 has been released by the Central Board of Secondary Education, CBSE. The board will hold the final examination at the end of the year following the annual assessment scheme, which has led to the release of the syllabus. The 2023-24 CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Board Exam will entirely be based on the most recent syllabus. Therefore, students must thoroughly understand the new CBSE syllabus to prepare for their annual exam properly.
The detailed CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Syllabus for 2023-24 is below.
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Revised Syllabus
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) and their Unit wise marks distribution
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Course Structure 2023-24 With Marking Scheme
Syllabus
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] History (इतिहास) Syllabus for Chapter 1: इतिहास के कुछ विषय
- हड़प्पा सभ्यता का परिचय
- निर्वाह के तरीके
- कृषि प्रौद्योगिकी
- मोहनजोदड़ो: एक नियोजित शहरी केंद्र
- नालों का निर्माण
- गृह स्थापत्य
- दुर्ग
- सामाजिक भिन्नताओं का अवलोकन
- शवाधान
- "विलासिता" की वस्तुओं की खोज
- शिल्प उत्पादन के विषय में जानकारी
- उत्पादन केंद्रों की पहचान
- माल प्राप्त करने संबंधी नीतियाँ
- उपमहाद्वीप तथा उसके आगे से आने वाल माल
- सुदूर क्षेत्रों से संपर्क
- मुहरें, लिपि, तथा बाट
- मुहरें और मुंद्राकन
- एक रहस्यमय लिपि
- बाट
- प्राचीन सत्ता
- प्रासाद तथा शासक
- सभ्यता का अंत
- हड़प्पा सभ्यता की खोज
- Cunningham’s confusion
- एक नवीन प्राचीन सभ्यता
- नयी तकनीकें तथा प्रश्न
- अतीत को जोड़कर पूरा करने की समस्याएँ
- खोजों का वर्गीकरण
- व्याख्या की समस्याएँ
- प्रिंसेप और पियदस्सी
- प्रारंभिक राज्य
- सोलह महाजनपद.
- सोलह महाजनपदों में प्रथम : मगध
- एक आरंभिक साम्राज्य
- मौर्यवंश के बारे में जानकारी प्राप्त करना
- साम्राज्य का प्रशासन
- मौर्य साम्राज्य कितना महत्वपूर्ण था?
- राजधर्म के नवीन सिद्धांत
- दक्षिण के राजा और सरदार
- दैवीक राजा
- बदलता हुआ देहात
- जनता में राजा की छवि
- उपज बढ़ाने के तरीके
- ग्रामीण समाज में विभिन्नताएँ
- भूमिदान और नए संभ्रात ग्रामीण
- नगर एवं व्यापार
- नए नगर
- नगरीय जनसंख्या: संभ्रांत वर्ग और शिल्पकार
- उपमहाद्वीप और उसके बाहर का व्यापार
- सिक्के और राजा
- मूल बातें अभिलेखों का अर्थ कैसे निकाला जाता है?
- ब्राह्मी लिपि का अध्ययन
- खरोष्ठी लिपि को कैसे पढ़ा गया?
- अभिलेखों से प्राप्त ऐतिहासिक साक्ष्य
- अभिलेख साक्ष्य की सीमा
- महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण
- बंधुता एवं विवाह अनेक नियम और व्यवहार की विभिन्नता
- परिवारों के बारे में जानकारी
- पितृवंशिक व्यवस्था के आदर्श
- विवाह के नियम
- स्त्री का गोत्र
- क्या माताएँ महत्वपूर्ण थीं?
- सामाजिक विषमताएँ वर्ण व्यवस्था के दायरे में और उससे परे
- 'उचित' जीविका
- अक्षत्रिय राजा
- जाति और सामाजिक गतिशीलता
- चार वर्णों के परे: एकीकरण
- चार वर्णों के परे: अधीनता और संघर्ष
- जन्म के परे संसाधन और प्रतिष्ठा
- संपत्ति पर स्त्री और पुरुष के भिन्न अधिकार
- वर्ण और संपत्ति के अधिकार
- एक वैकल्पिक सामाजिक रूपरेखा: संपत्ति में भागीदारी
- सामाजिक विषमताओं की व्याख्या एक सामाजिक अनुबंध
- साहित्यिक स्रोतों का इस्तेमाल इतिहासकार और महाभारत
- भाषा एवं विषयवस्तु
- लेखक (एक या कई) और तिथियाँ
- सदृशता की खोज
- एक गतिशील ग्रंथ
- साँची की एक झलक
- पृष्ठभूमि: यज्ञ और विवाद
- यज्ञों की परंपरा
- नए प्रश्न
- वाद-विवाद और चर्चाएँ
- लौकिक सुखों से आगे महावीर का संदेश
- जैन धर्म का विस्तार
- बुद्ध और ज्ञान की खोज
- बुद्ध की शिक्षाएँ
- बुद्ध के अनुयायी
- स्तूप
- स्तूप क्यों बनाए जाते थे?
- स्तूप कैसे बनाए गए
- स्तूप की संरचना
- स्तूपों की 'खोज' अमरावती और साँची की नियति
- मूर्तिकला
- पत्थर में गढ़ी कथाएँ
- उपासना के प्रतीक
- लोक परंपराएँ
- नयी धार्मिक परंपराएँ
- महायान बौद्ध मत का विकास
- पौराणिक हिंदू धर्म का उदय
- मंदिरों का बनाया जाना
- क्या हम सब कुछ देख-समझ सकते हैं?
- अनजाने को समझने की कोशिश
- यदि लिखित और दृश्य का मेल न हो
- अल-बिरूनी तथा किताब-उल-हिन्द
- ख़्वारिज़्म से पंजाब तक
- किताब-उल-हिन्द
- इब्न बतूता का रिह्ला
- एक आरंभिक विश्व-यात्री
- जिज्ञासाओं का उपभोग
- फ्रांस्वा बर्नियर: एक विशिष्ट चिकित्सक
- "पूर्व" और "पश्चिम" की तुलना
- एक अपरिचित संसार की समझ अल-बिरूनी तथा संस्कृतवादी परंपरा
- समझने में बाधाएँ और उन पर विजय
- अल-बिरूनी की जाति व्यवस्था का विवरण
- इब्न बतूता तथा अनजाने को जानने की उत्कंठा
- नारियल तथा पान
- इब्न बतूता और भारतीय शहर
- संचार की एक अनूठी प्रणाली
- बर्नियर तथा "अपविकसित" पूर्व
- भूमि स्वामित्व का प्रश्न
- एक अधिक जटिल सामाजिक सच्चाई
- महिलाएँ: दासियाँ, सती तथा श्रमिक
- धार्मिक विश्वासों और आचरणों की गंगा जमुनी बनावट
- पूजा प्रणालियों का समन्वय
- भेद और संघर्ष
- उपासना की कविताएँ प्रारंभिक भक्ति परंपरा
- तमिलनाडु के अलवार और नयनार संत
- जाति के प्रति दृष्टिकोण
- स्त्री भक्त
- राज्य के साथ संबंध
- कर्नाटक की वीरशैव परंपरा
- उत्तरी भारत में धार्मिक उफ़ान
- दुशाले के नए ताने-बाने इस्लामी परंपराएँ
- शासकों और शासितों के धार्मिक विश्वास
- लोक प्रचलन में इस्लाम
- समुदायों के नाम
- सूफ़ीमत का विकास
- ख़ानक़ाह आणि सिलसिला
- ख़ानक़ाह के बाहर
- उपमहाद्वीप में चिश्ती सिलसिला
- चिश्ती ख़ानक़ाह में जीवन
- चिश्ती उपासना: जियारत और कव्वाली
- भाषा और संपर्क
- सूफ़ी और राज्य
- नवीन भक्ति पंथ उत्तरी भारत में संवाद और असहमति
- दैवीय वस्त्र की बुनाई: कबीर
- बाबा गुरु नानक और पवित्र शब्द
- मीराबाई, भक्तिमय राजकुमारी
- धार्मिक परंपराओं के इतिहासों का पुनर्निर्माण
- हम्पी की खोज
- राय, नायक तथा सुलतान
- शासक और व्यापारी
- राज्य का चरमोत्कर्ष तथा पतन
- राय तथा नायक
- विजयनगर - राजधानी तथा उसके परिप्रदेश
- जल-संपदा
- क़िलेबंदियाँ तथा सड़कें
- शहरी केंद्र
- राजकीय केंद्र
- महानवमी डिब्बा
- राजकीय केंद्र में स्थित अन्य भवन
- धार्मिक केंद्र
- राजधानी का चयन
- गोपुरम् और मण्डप
- महलों, मन्दिरों तथा बाज़ारों का अंकन
- उत्तरों की खोज में प्रश्न
- किसान और कृषि उत्पादन
- स्त्रोतों की तलाश
- किसान और उनकी ज़मीन
- सिंचाई और तकनीक
- फ़सलों की भरमार
- ग्रामीण समुदाय
- जाति और ग्रामीण माहौल
- पंचायतें और मुखिया
- ग्रामीण दस्तकार
- एक "छोटा गणराज्य"?
- कृषि समाज में महिलाएँ
- जंगल और कबीले
- बसे हुए गाँवों के परे
- जंगलों में घुसपै
- ज़मींदार
- भू-राजस्व प्रणाली
- चाँदी का बहाव
- अबुल फ़ज़्ल की आइन-ए-अकबरी
- मुग़ल शासक और उनका साम्राज्य
- इतिवृत्तों की रचना
- तुर्की से फ़ारसी की ओर
- पांडुलिपियों की रचना
- रंगीन चित्र
- अकबरनामा और बादशाहनामा
- आदर्श राज्य
- एक दैवीय प्रकाश
- एकीकरण का एक स्रोत
- सामाजिक अनुबंध के रूप में न्यायपूर्ण प्रभुसत्ता
- राजधानियाँ और दरबार
- राजधानी नगर
- मुग़ल दरबार
- पदवियाँ, उपहार और भेंट
- शाही परिवार
- शाही नौकरशाही
- भर्ती की प्रक्रिया तथा पद
- सूचना तथा साम्राज्य
- केंद्र से परे: प्रांतीय प्रशासन
- सीमाओं के परे
- सफ़ावी और कंधार
- ऑटोमन साम्राज्य: तीर्थयात्रा और व्यापार
- मुग़ल दरबार में जेसुइट धर्म प्रचारक
- औपचारिक धर्म पर प्रश्न उठाना
- बंगाल और वहाँ के ज़मींदार
- बर्दवान में की गई नीलामी की एक घटना
- अदा न किए गए राजस्व की समस्या
- राजस्व राशि के भुगतान में ज़मींदार क्यों चूक करते थे?
- जोतदारों का उदय
- जमींदारों की ओर से प्रतिरोध
- पाँचवीं रिपोर्ट
- कुदाल और हल
- राजमहल की पहाड़ियों में
- संथाल: अगुआ बाशिंदे
- बुकानन का विवरण
- देहात में विद्रोह बम्बई दक्कन
- लेखा बहियाँ जला दी गईं
- एक नई राजस्व प्रणाली
- राजस्व की माँग और किसान का कर्ज़
- फिर कपास में तेज़ी आई
- ऋण का स्रोत सूख गया
- अन्याय का अनुभव
- दक्कन दंगा आयोग
- विद्रोह का ढर्रा
- सैन्य विद्रोह कैसे शुरू हुए
- संचार के माध्यम
- नेता और अनुयायी
- अफ़वाहें और भविष्यवाणियाँ
- लोग अफ़वाहों में विश्वास क्यों कर रहे थे?
- अवध में विद्रोह
- "ये गिलास फल (Cherry) एक दिन हमारे ही मुहँ में आकर गिरेगा"
- "देह से जान जा चुकी थी"
- फ़िरंगी राज का आना और एक दुनिया का ख़ात्मा
- विद्रोही क्या चाहते थे?
- एकता की कल्पना
- उत्पीड़न के प्रतीकों के ख़िलाफ़
- वैकल्पिक सत्ता की तलाश
- दमन
- विद्रोह की छवियाँ
- रक्षकों का अभिनंदन
- अंग्रेज़ औरतें तथा ब्रिटेन की प्रतिष्ठा
- प्रतिशोध और सबक़
- दहशत का प्रदर्शन
- दया के लिए कोई जगह नहीं
- राष्ट्रवादी दृश्य कल्पना
- पूर्व-औपनिवेशिक काल में कस्बे और शहर
- क़स्बों का उनका चरित्र कैसे मिला?
- अठारहवीं शताब्दी में परिवर्तन
- औपनिवेशिक शहरों की पड़ताल
- औपनिवेशिक रिकॉड्र्र्स और शहरी इतिहास
- बदलाव का रुझान
- नए शहर कैसे थे?
- बंदरगाह, क़िले और सेवाओं के केंद्र
- एक नया शहरी परिवेश
- पहला हिल स्टेशन
- नए शहरों में सामाजिक जीवन
- प्रथक्करण, नगर नियोजन और भवन निर्माण
- मद्रास में बसावट और पृथक्करण
- कलकत्ता में नगर नियोजन
- बम्बई में भवन निर्माण
- इमारतें और स्थापत्य शैलियाँ क्या बताती हैं?
- स्वयं की उद्घोषणा करता एक नेता
- असहयोग की शुरुआत और अंत
- एक लोकप्रिय आंदोलन की तैयारी
- जन नेता
- नमक सत्याग्रह नज़दीक से एक नज़र
- दाण्डी
- संवाद
- भारत छोड़ो
- आखिरी, बहादुराना दिन
- गाँधी को समझना
- सार्वजनिक स्वर और निजी लेखन
- छवि गढ़ना
- पुलिस की नजर से
- अखबारों से
- बँटवारे के कुछ अनुभव
- ऐतिहासिक मोड़
- बँटवारा या महाध्वंस ( होलोकॉस्ट)
- रूढ़ छवियों (Stereotypes) की ताक़त
- विभाजन क्यों और कैसे हुआ?
- एक लंबे इतिहास का अंतिम चरन?
- 1937 में प्रांतीय चुनाव और कांग्रेस मंत्रालय
- "पाकिस्तान" का प्रस्ताव
- विभाजन का अचानक हो जाना
- युद्धोत्तर घटनाक्रम
- विभाजन का एक संभावित विकल्प
- विभाजन की ओर
- क़ानून व्यवस्था का नाश
- महात्मा गाँधी-एक अकेली फ़ौज
- बँटवारे में औरतें
- औरतों की " बरामदगी"
- "इज़्ज़त" की रक्षा
- क्षेत्रीय विविधताएँ
- मदद, मानवता, सद्भावना
- मौखिक गवाही और इतिहास
- उथल-पुथल का दौर
- संविधान सभा का गठन
- मुख्य आवाजें
- संविधान की दृष्टि
- लोगों की इच्छा
- अधिकारों का निर्धारण
- पृथक निर्वाचिका की समस्या
- "केवल इस प्रस्ताव से काम चलाने वाला नहीं है"
- "हमें हज़ारों साल तक दबाया गया है"
- राज्य की शक्तियाँ
- "केंद्र बिखर जाएगा"
- "आज हमें एक शक्तिशाली सरकार की आवश्यकता है"
- राष्ट्र की भाषा
- हिंदी की हिमायत
- वर्चस्व का भय