CBSE Syllabus For Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन): Knowing the Syllabus is very important for the students of Class 12 [१२ वीं कक्षा]. Shaalaa has also provided a list of topics that every student needs to understand.
The CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) syllabus for the academic year 2023-2024 is based on the Board's guidelines. Students should read the Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus to learn about the subject's subjects and subtopics.
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CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Revised Syllabus
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) and their Unit wise marks distribution
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Course Structure 2023-2024 With Marking Scheme
# | Unit/Topic | Weightage |
---|---|---|
I | प्रबंध के सिद्धांत और कार्य | |
1 | प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व | |
2 | प्रबंध के सिद्धांत | |
3 | व्यवसायिक पर्यावरण | |
4 | नियोजन | |
5 | संगठन | |
6 | नियुक्तिकरण | |
7 | निर्देशन | |
8 | नियंत्रण | |
II | व्यवसाय, वित्त एवं विपणन | |
1 | व्यवसायिक वित्त | |
2 | वित्तीय बाज़ार | |
3 | विपणन | |
4 | उपभोक्ता संरक्षण | |
Total | - |
Syllabus
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus for प्रबंध के सिद्धांत और कार्य
- प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व
- प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व का परिचय
- अवधारणा
- प्रबंध की विशेषताएँ
- प्रबंध एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है
- प्रबंध सर्वव्यापी है
- प्रबंध बहुआयामी है
- प्रबंध एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है
- प्रबंध एक सामूहिक क्रिया है
- प्रबंध एक गतिशील कार्य है
- प्रबंध एक अमूर्त शक्ति है
- प्रबंध के उद्देश्य
- संगठनात्मक उद्देश्य
- सामाजिक उद्देश्य
- कर्मचारीगण उद्देश्य
- प्रबंध का महत्त्व
- प्रबंध सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है
- प्रबंध क्षमता में वृद्धि करता है
- प्रबंध गतिशील संगठन का निर्माण करता है
- प्रबंध व्यक्तिगत उद्देश्यों की प्राप्त में सहायक होता है
- प्रबंध समाज के विकास में सहायक होता है
- प्रबंध की प्रकृति
- प्रबंध एक कला
- सैद्धांतिक ज्ञान का होना
- व्यक्तिगत योग्यतानुसार उपयोग
- व्यवहार एवं रचनात्मकता पर आधारित
- प्रबंध एक विज्ञान के रूप में
- क्रमबद्ध ज्ञान-समूह
- परीक्षण पर आधारित सिद्धांत
- व्यापक वैधता
- प्रबंध एक पेशे के रूप में
- पेशे के निम्न विशेषताएँ हैं
- भली-भाँति परिभाषित ज्ञान का समूह
- अवरोधित प्रवेश
- पेशागत परिषद्
- नैतिक आचार संहित
- सेवा का उद्देश्य
- प्रबंध के स्तर
- उच्च स्तरीय प्रबंध
- मध्य स्तरीय प्रबंध
- पर्यवेक्षीय अथवा प्रचालन प्रबंधन
- प्रबंध के कार्य
- नियोजन
- संगठन
- कर्मचारी नियुक्तिकरण
- निदेशन
- नियंत्रण
- समन्वय प्रबंध का सार है
- समन्वय की प्रकृति
- समन्वय सामूहिक कार्यों में एकात्मकता लाता है
- समन्वय कार्यवाही में एकता लाता है
- समन्वय निरंतर चलने वाली प्रक्रिया
- समन्वय सर्वव्यापी कार्य है
- समन्वय सभी प्रबंधकों का उत्तरदायित्व है
- समन्वय सोचा समझा कार्य है
- समन्वय का महत्त्व
- संगठन का आकार
- कार्यात्मक विभेदीकरण
- विशिष्टीकरण
- इक्कीसवीं शताब्दी में प्रबंधन
- प्रबंध के सिद्धांत
- प्रबंध के सिद्धांत का परिचय
- अवधारणा
- प्रबंध के सिद्धांत की प्रकृति
- सर्व प्रयुक्त
- सामान्य मार्गदर्शन
- व्यवहार एवं शोध व्दारा निर्मित
- लोच
- मुख्यत: व्यावहारिक
- कारण एवं परिणाम का संबंध
- अनिश्चित
- प्रबंध के सिद्धांतों का महत्त्व
- प्रबंधकों को वास्तविकता का उपयोगी सूक्ष्म ज्ञान प्रदान करना
- संसाधनों का अधिकतम उपयोग एवं प्रभावी प्रशासन
- वैज्ञानिक निर्णय
- बदलती पर्यावरण की आवश्यकताओं को पूरा करना
- प्रबंध प्रशिक्षण, शिक्षा एवं अनुसंधान
- टेलर का वैज्ञानिक प्रबंध
- वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत
- विज्ञान पद्धति न कि अंगूठा टेक नियम
- सहयोग न कि टकराव
- सहयोग, न कि व्यक्तिवाद
- प्रत्येक व्यक्ति का उसकी अधिकाधिक क्षमता एवं समृद्धि के लिए विकास
- वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीक
- कार्यात्मक फोरमैनशिप
- कार्य का प्रमापीकरण एवं सरलीकरण
- कार्य पद्धति अध्ययन
- गति अध्ययन
- समय अध्ययन
- थकान अध्ययन
- विभेदात्मक पारिश्रमिक प्रणाली
- फेयॉल के प्रबंध के सिद्धांत
- कार्य विभाजन
- अधिकार एवं उत्तरदायित्व
- अनुशासन
- आदेश की एकता
- निदेश की एकता
- सामूहिक हितों के लिए व्यक्तिगत हितों का समर्पण
- कर्मचारियों को प्रतिफल
- केंद्रीकरण एवं विकेंद्रीकरण
- सोपान श्रृंखला
- व्यवस्था
- समता
- कर्मचारियों की उपयुक्तता
- पहल क्षमता
- सहयोग की भावना
- फेयॉल बनाम टेलर-तुलना
- व्यवसायिक पर्यावरण का परिचय
- व्यवसायिक पर्यावरण का अर्थ
- बाहा शक्तियों की समग्रता
- विशिष्ट एवं साधारण शक्तियाँ
- आंतरिक संबंध
- गतिशील प्रकृति
- अनिशिचतता
- जटिलता
- तुलनात्मकता
- व्यवसायिक पर्यावरण का महत्त्व
- संभावनाओं/अवसरों की पहचान करने एवं पहल करने के लाभ
- खतरे की पहचान एवं समय से पहले चेतावनी में सहायक
- उपयोगी संसाधनों का दोहन
- तीव्रत से हो रहे परिवर्तनों का सामना करना
- नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायता
- निष्पादन में सुधार
- पर्यावरण के आयाम
- आर्थिक पर्यावरण
- सामाजिक पर्यावरण
- प्रौद्योगिकीय पर्यावरण
- राजनैतिक पर्यावरण
- विधिक पर्यावरण
- भारत में आर्थिक पर्यावरण
- उदारीकरण
- निजीकरण
- वैश्वीकरण
- विमुद्रीकरण
- विशेषताएँ
- व्यवसाय एवं उद्योग पर सरकारी नीतियों में परिवर्तन का प्रभाव
- प्रतियोगिता में वृद्धि
- अधिक अपेक्षा रखने वाले ग्राहक
- प्रौद्योगिकी पर्यावरण में तेज़ी से परिवर्तन
- परिवर्तन की आवश्यकता
- मानव संसाधनों के विकास की आवश्यकता
- बाज़ार अभिविन्यास
- सार्वजनिक क्षेत्र को बजटीय समर्थन का अभाव
- नियोजन
- नियोजन का परिचय
- अर्थ
- नियोजन का महत्त्व
- नियोजन निर्देशन की व्यवस्था करता है
- नियोजन अनेश्चितता की जोखिम को कम करता है
- नियोजन, नव-प्रवर्तन विचारों को प्रोत्साहित करता है
- नियोजन निर्णम लेने को सरल करता है
- नियोजन नियंत्रण के मनकों का निर्धारण करता है
- नियोजन की विशेषताएँ
- नियोजन का केंद्र बिंदु लक्ष्य प्राप्ति होती है
- नियोजन प्रबंधन का प्राथमिक कार्य
- नियोजन सर्वव्यापी है
- नियोजन अविरत है
- नियोजन भविष्यवादी है
- नियोजन में निर्णय रचना निहित है
- नियोजन एक मानसिक अभ्यास है
- नियोजन की सीमाएँ
- नियोजन दृढ़ता उत्पन्न करता है
- परिवर्तनशील वातावरण में नियोजन प्रभावी नहीं रहता
- नियोजन रचनात्मकता को कम करता है
- नियोजन में भारी लागत आती है
- नियोजन समय नष्ट करने वाली प्रक्रिया है
- नियोजन सफलता का आश्वासन नहीं है
- नियोजन प्रक्रिया
- उद्देश्यों का निर्धारण
- विकसशील आधार
- कार्यवाही की वैकल्पिक विधियों की पहचान
- विकल्पों का मूल्यांकन
- विकल्पों का चुनाव
- योजना को लागू करना
- अनुवर्तन
- नियोजन के प्रकार
- योजनाओं के प्रकार
- एकल प्रयोग तथा स्थायी योजनाएँ
- एकल प्रयोग योजना.
- स्थायी योजना
- उद्देश्य
- व्यूह-रचना
- नीति
- पक्रिया
- विधि
- नियम
- कार्यक्रम
- बजट
- संगठन
- संगठन का परिचय
- अर्थ
- संगठन पक्रिया में कदम
- कार्य की पहचान तथा विभाजन
- विभागीकरण
- कर्त्तव्यों का निर्धारणा
- वृतांत रिपोर्टिंग संबंध स्थापन
- संगठन का महत्त्व
- विशिष्टीकरण के लाभ
- कार्य करने में संबंधो का स्पष्टीकरण
- संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग
- परिवर्तनों का अनुकूलन
- प्रभावी प्रशासन
- कार्मिकों का विकास
- विकास एवं विस्तार
- संगठन ढाँचा
- संगठन ढाँचों के प्रकार
- कार्यात्मक संगठन ढाँचा
- प्रभागीय संगठन ढाँचा
- औप्रभागीय एवं अनौप्रभागीय संगठन
- अनौपचारिक संगठन
- अंतरण
- अधिकार अंतरण के तत्व
- अंतरण का महत्त्व
- प्रभावी प्रबंध
- कर्मचारियों का विकास
- कर्मचारियों को प्रेरणा
- विकास का सरलीकरण
- प्रबंध सोपानिकी (पदानुक्रम) का आधार
- उत्तम सामंजस्य
- विकेंद्रीकरण
- केंद्रीकरण एवं विकेंद्रीकरण
- विकेंद्रीकरण का महत्त्व
- अधीनस्थों में पहल भावना का विकास
- भविष्य के लिए प्रबंधकीय प्रतिभा का विकास
- शीघ्र निर्णय
- शीर्ष प्रबंध का राहत
- श्रेष्ठ नियंत्रण
- नियुक्तिकरण
- नियुक्तिकरण का परिचय
- अर्थ
- नियुक्तिकरण की आवश्यकता तथा महत्त्व
- नियुक्तिकरण-मानव संसाधन प्रबंध के अंग के रूप में
- मानव संसाधन प्रबंधन का क्रम विकास
- नियुक्तिकरण प्रक्रिया
- मानव-शक्ति आवश्यकताओं का आकलन
- भर्ती
- चयन
- प्रशिक्षण तथा विकास
- निष्पादन मूल्यांकन
- पदोन्नति एवं भविष्य नियोजन
- परिश्रमिक
- नियुक्तिकरण के विभिन्न पहलू
- भर्ती
- चयन
- पशिक्षण
- भर्त्ती
- भर्त्ती के स्रोत
- आंतरिक स्त्रोत-(संस्था के अंदर से ही भर्ती)
- स्थानांतरण
- पदोन्नति
- आंतरिक स्त्रोतों के लाभ
- आंतरिक स्त्रोतों की कामियाँ
- बाहा स्रोत
- प्रत्यक्ष भर्ती
- प्रतीक्षा सूची
- विज्ञापन
- रोज्रगार कार्यालय
- स्थापन एजेंसी तथा प्रबंध परामर्शदाता
- महाविद्यालय/विश्वविद्यालय से भर्ती
- कर्मचारियों व्दारा अनुशंसा
- जॉबर एवं ठेकेदार
- विज्ञापन अथवा दूरदर्शन
- वैब प्रसारण
- बाहा स्रोत के लाभ
- योग्य कर्मचारी
- विस्तृत विकल्प
- नयी प्रतिभाएँ
- प्रतियोगिता की भावना
- बाहा स्रोत की कमियाँ/सीमाएँ
- वर्तमान कर्मचारियों में असंतोष की भावना
- महँगी प्रक्रिया
- चयन
- चयन प्रक्रिया
- प्रारंभिक जाँच
- चयन परीक्षाएँ
- महत्त्वपूर्ण परीक्षाएँ जिनका प्रयोग कर्मचारियों के चयन हेतु किया जाता है
- बुद्धि परीक्षाएँ
- कौशल परीक्षा
- व्यक्तित्व परीक्षाएँ
- व्यापार परीक्षा
- अभिरुचि परीक्षा
- रोज्रगार साक्षात्कार
- संदर्भ तथा पृष्ठभूमि जाँच/परीक्षण
- चयन निर्णय
- शारीरिक एवं डॉक्टरी परीक्षण
- पद-प्रस्ताव
- रोजगार समझौता
- प्रशिक्षण तथा विकास
- प्रशिक्षण तथा विकास की आवश्यकता
- संगठन को लाभ
- कर्मचारियों को लाभ
- प्रशिक्षण, विकास एवं शिक्षा
- प्रशिक्षण विधियाँ
- ऑन द जॉब विधियाँ
- प्रशिक्षणार्थी कार्यक्रम
- शिक्षण (कोचिंग)
- स्थानबद्ध प्रशिक्षण (इंटर्नशिप प्रशिक्षण) संयुक्त प्रशिक्षण परियोजना
- कार्य बदली
- ऑफ द जॉब विधियाँ
- कक्षा कक्ष व्याख्यान/सम्मेलन
- चलचित्र
- समस्यात्मक अध्ययन (केस स्टडी)
- कंप्यूटर प्रतिमान
- प्रकोष्ठ प्रशिक्षण
- नियोजित अनुदेश/ प्रशिक्षण
- निर्देशन
- निर्देशन का परिचय
- अर्थ
- निर्देशन क्रिया को प्रारंभ करती है
- निर्देशन प्रबंधन के प्रत्येक स्तर पर निष्पादित होता है
- निर्देशन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है
- निर्देशन ऊपर से नीचे की तरफ प्रवाहित होता है
- निर्देशन का महत्त्व
- निर्देशन के सिद्धांत
- अधिकतम व्यक्तिगत योगदान
- संगठनिक उद्देश्यों में ताल-मेल
- आदेश की एकता
- निर्देशन तकनीकों की उपयुक्तता/औचित्य
- प्रबंधकीय संप्रेषण
- अनौपचारिक संगठन का प्रयोग
- नेतृत्व
- अनुसरण करना
- निर्देशन के तत्व
- पर्यवेक्षण
- पर्यवेक्षण के महत्त्व
- अभिप्रेरणा-अर्थ
- अभिप्रेरणा
- उद्देश्य
- अभिप्रेरणा
- अभिप्रेरक
- अभिप्रेरणा की प्रक्रिया
- अभिप्रेरणा का महत्त्व
- मास्लो की आवश्यकता-क्रम अभिप्रेरणा का सिध्दांत
- आधारभूत/ शारीरिक आवश्यकताएँ
- सुरक्षा आवश्यकताएँ
- संस्था से जुडाव/संस्था से संबंध
- मान सम्मान (प्रतिष्ठा) आवश्यकता
- आत्म संतुष्टि आवश्यकताएँ
- वित्तीय तथा गैर वित्तीय प्रोत्साहन
- वित्तीय प्रोत्साहन
- वेतन तथा भत्ता
- उत्पादकता संबंधित पारिश्रमिक/ मजदूरी प्रोत्साहन
- बोनस/ अधिलाभांश
- लाभ में भागीदारी
- सह-साझेदारी/ स्कंध (स्टॉक) विकल्प
- सेवानिवृत्ति लाभ
- अनुलाभ/ परक्विज़र
- गैर वित्तीय प्रोत्साहन
- पद प्रतिष्ठा/ ओहदा
- संगठनिक वातावरण
- जीवनवृत्ति विकास के सुअवसर
- पद संवर्धन
- कर्मचारियों को पहचान/ मान सम्मान देने संबंधित कार्यक्रम
- पद सुरक्षा स्थायित्व
- कर्मचारियों की भागीदारी
- कर्मचारियों का सशक्तीकरण
- नेतृत्व
- नेतृत्व की विशेषताएँ
- नेतृत्व का महत्त्व
- अच्छे नेता के गुण
- शारीरिक विशेषताएँ
- ज्ञान
- सत्यनिष्ठा/ईमानदारी
- पहल
- संप्रेषण कौशल
- अभिप्रेरणा कौशल
- आत्म-विश्वास
- निर्णय लेने की क्षमता
- सामाजिक कौशल
- नेतृत्व शैली
- एकतंत्रीय अथवा सत्तावादी नेता
- लोकतंत्रीय अथवा सहभागी नेता
- अबंध अथवा मुक्त रोक नेता
- संप्रेषण
- संप्रेषण प्रक्रिया के तत्व
- प्रेषक/ संदेश भेजने वाला
- कूट/ संदेश
- एनकोडिंग
- माध्यम
- डिकोडिंग
- संदेश प्राप्तकर्ता
- प्रतिपुष्टि
- ध्वनि/ कोलाहल
- संप्रेषण का महत्त्व
- समन्वयन के आधार के रूप में कार्य करती है
- उद्यम के निर्विघ्न चलनें में सहायता करती है
- निर्णय लेने की क्षमता के आधार के रूप में कार्य करती है
- प्रबंधकीय कुशलता को बढ़ाता है
- सहयोग तथा औद्योगिक शांति को बढ़ाती है
- प्रभावी नेतृत्व को स्थापित करती है
- मनोवृत्ति बढ़ाती है तथा अभिप्रेरित करती है
- औपचारिक तथा अनौपचारिक संप्रेषण
- औपचारिक संप्रेषण
- एकल श्रृंखला
- चक्र
- गोला
- स्वतंत्र प्रवाह
- विलोम
- अनौपचारिक संप्रेषण
- अंगूरीलता तंत्र
- प्रभावी संप्रेषण में बाधाएँ
- संकेतिक/ संकेतीक बाधाएँ
- संदेश की अनुपयुक्त अभिव्यक्ति
- विभिन्न अर्थों सहित संकेतक
- त्रुटिपूर्ण रूपांतर /अनुवाद
- अस्पष्ट संकल्पनाएँ
- तकनीकी विशिष्ट शब्दावली
- शारीरिक भाषा तथा हाव भाव की अभिव्यक्ति की डिकोडिंग
- मनोवैज्ञानिक बाधाएँ
- असामयिक मूल्यांकन
- सावधानी का अभाव/ ध्यान न होना
- संप्रेषण के प्रसारण में लोप/ क्षय तथा अपयोप्त प्रतिधारण
- अविश्वास
- संगठनिक बाधाएँ
- संगठनिक नीति
- नियम तथा अधिनियम
- पदवी/ पद
- संगठन की संरचना में जटिलता
- संगठनिक सुविधाएँ
- व्यक्तिगत बाधाएँ
- सत्ता के सामने चुनौती का भय
- अधिकारी का अपने अधीनस्थों में विश्वास का अभाव
- संप्रेषण में अनिच्छा
- उपयुक्त प्रोत्साहनों का अभाव
- प्रभावी संप्रेषण के लिए सुधार
- संप्रेषण करने से पहले विचार/ लक्ष्य स्पष्ट करने चाहिए
- संदेश प्राप्तकर्ता की आवश्यकतानुसर संप्रेषण करें
- संप्रेषण के पहले अन्य लोगों से भी परामर्श करें
- संदेश में प्रयुक्त भाषा, शैली तथा उसकी विषय वस्तु के लिए जागरूक
- ऐसा संप्रेषण करें जो सुनने वालों के लिए सहायक हो तथा महत्वपूर्ण/ मूल्यवान हो
- उपयुक्त प्रतिपुष्टि निश्चित करें
- वर्तमान तथा भविष्य दोनों के लिए संप्रेषण करें
- संप्रेषण का अनुसरण
- एक अच्छा श्रोता बनिए
- नियंत्रण
- नियंत्रण का परिचय
- अर्थ
- नियंत्रण का महत्त्व
- संठगनात्मक लक्ष्यों की निष्पत्ति
- मनकों की यथार्थता को आँकना
- संसाधनों का फलोत्पादक उपयोग
- कर्मचारियों की अभिप्रेरणा में सुधार
- आदेश एवं अनुशासन की सुनिश्चितता
- कार्य में समन्वय की सुविधा
- नियंत्रण की सीमाएँ
- परिमाणात्मक मानकों के निर्धारण में कठिनाई
- बाहा घटकों पर अल्प नियंत्रण
- कर्मचारियों से प्रतिरोध
- महँगा सौदा
- नियोजन एवं नियंत्रण में संबंध
- नियंत्रण प्रक्रिया
- निष्पादन मानकों का निर्धारण
- वास्तविक निष्पादन की माप
- वास्तविक निष्पादन की मानकों से तुलना
- विचलन विश्लेषण
- सुधारात्मक कार्यवाही करना
- प्रबंधकीय नियंत्रण की तकनीक
- पारंपरिक तकनीकें
- आधुनिक तकनीकें
- पारंपरिक तकनीकें
- व्यक्तिगत अवलोकन
- सांख्यकीय प्रतिवेदन (रिपोर्ट्स)
- बिना लाभ-हानि व्यापार विश्लेषण
- बजटीय नियंत्रण
- आधुनिक तकनीकें
- निवेश पर प्रत्याय
- अनुपात विश्लेषण
- तरलता अनुपात
- शोधन क्षमता अनुपात
- लाभदायकता अनुपात
- उत्तरदायित्व लेखाकरण
- लागत केंद्र
- आगम केंद्र
- लाभ केंद्र
- विनियोग केंद्र
- प्रबंध अंकेक्षण
- पुनरावलोकन तकनीक (पी. ई. आर. टी) एवं आलोचनात्मक उपाय प्रणाली ( सी. पी. एम)
- प्रबंध सूचना पद्धति
- प्रबंध सूचना पद्धति के प्रबंधकों को लाभ
CBSE Class 12 [१२ वीं कक्षा] Business Studies (व्यवसाय अध्ययन) Syllabus for व्यवसाय, वित्त एवं विपणन
- व्यवसायिक वित्त
- व्यवसायिक वित्त का परिचय
- अर्थ
- वित्तीय प्रबंध
- भूमिका
- उद्देश्य
- वित्तीय निर्णय
- निवेश संबंधी निर्णय
- पूँजी बजटिंग निर्णयों को प्रभावित करने वाले कारक
- वित्तीयन संबंधी निर्णय
- वित्तीय निर्णय को प्रभावित करने वाले कारक
- लाभांश से संबंधित निर्णय
- लाभांश निर्णय को प्रभावित करने वाले कारक
- वित्तीय नियोजन
- वित्तीय नियोजन का महत्त्व
- पूँजी संरचना
- पूँजी संरचना को प्रभावित करने वाले कारक
- रोकड़ प्रवाह स्थिति
- ब्याज आवरण अनुपात (आई. ओ.आर)
- ऋण सेवा आवरण अनुपात (डी. एस. सी. आर)
- निवेश पर आय ( आर. ओ. आई)
- ऋण की लागत
- कर दर
- समता की लागत
- प्रवर्तन लागत
- जोखिम का ध्यान
- लचीलापन
- नियंत्रण
- नियामक ढांचा
- शेयर बाज़ार की दशाएँ
- अन्य कंपनियों की पूँजी संरचना
- स्थाई एवं कार्यशील पूँजी
- अर्थ
- स्थाई पूँजी का प्रबंधन
- स्थाई पूँजी की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले घटक
- व्यवसाय की प्रकृति
- संक्रिया का मापदंड
- तकनीक का विकल्प
- तकनीकी उत्थान
- विकास प्रत्याशा
- विविधीकरण
- वित्तीय विकल्प
- सहयोग का स्तर
- कार्यशील पूँजी
- कार्यशील पूँजी आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक
- व्यवसाय की प्रकृति
- संचालन का स्तर
- व्यवसाय चक्र
- मौसमी कारक
- उत्पादन चक्र
- उधार क्रय सुविधा
- संचालन कार्य कुशलता
- कच्चे माल की उपलब्धि
- विकास प्रत्याशा
- प्रतियोगिता का स्तर
- मुद्रा स्फीति
- वित्तीय बाज़ार की संकल्पना (अवधारणा)
- वित्तीय बाज़ार के प्रकार्य
- बचतों को गतिशील बनाना तथा उन्हें अधिवाधिक उत्पादक उपयोग में सरणित करना
- मूल्य खोज को सुसाध्य बनाना
- वित्तीय परिसंपत्तियों हेतु द्रवता उपलब्ध कराना
- लेन-देन की लागत को घटाना
- द्रव्य या मुद्रा बाज़ार
- मुद्रा बाज़ार के प्रपत्र (इंस्ट्रूमेंड)
- ट्रेजरी (राजकोष) बिल मूलत
- वाणिज्यिक (या तिजारती) पत्र
- शीघ्रावधि द्रव्य
- बचत प्रमाण पत्र
- वाणिज्यिक बिल
- पूँजी बाज़ार
- पूँजी बाज़ार एवं मुद्रा बाज़ार में अंतर
- भाग लेने वाले
- प्रलेख
- निवेश राशि
- अवधि
- तरलता
- सुरक्षा
- संभावित प्रतिफल
- प्राथमिक बाज़ार
- अस्थायी पूँजी (फ्लोटेशन) की विधियाँ
- विवरण पत्रिका के माध्यम से प्रस्ताव
- विक्रय के लिए प्रस्ताव
- निजी नियोजन या विनियोग
- अधिकार निर्गम
- इलेक्ट्रॉनिक आरंभिक सार्वजनिक निर्गम ( ई- आई.पी. ओज.)
- व्दितीयक बाज़ार
- स्टॉक एक्सचेंज या शेयर बाज़ार
- शेयर बाज़ार (स्टॉक एक्सचेंज) का तात्पर्य
- एक शेयर बाज़ार के क्रियाकलाप
- व्यापारिक तथा निपटान कार्यविधि
- व्यापारिक एवं निपटान प्रक्रिया के चरण
- विभौतिकीकरण तथा निक्षेपागार (डिमैटीरियलाइजेशन तथा डिपोज़िटरीज़)
- डीमैट प्रणाली की कार्यविधि
- निक्षेपागार (डिपोज़िटरी)
- भारत का राष्ट्रीय शेयर बाज़ार (नेशनल स्टॉल एक्सचेंज ऑफ इंडिया)
- राष्ट्रीय शेयर बाज़ार (NSE) के उद्देश्य
- राष्ट्रीय शेयर बाज़ार (एन. एस. ई.) के बाज़ार खंड
- बी.एस. ई. (पूर्व में बॉम्बेस्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड)
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)
- सेबी (SEBI) की स्थापना के कारण
- सेबी (SEBI) की भूमिका एवं उद्देश्य
- सेबी के उद्देश्य
- सेबी के कार्य
- सुरक्षात्मक कणर्य
- नियमन कर्त्ता कार्य
- विकासपूर्ण कार्य
- सेबी का संगठनात्मक ढाँचा
- विपणन का अर्थ
- विपणन की विशेषताएँ
- अपेक्षा एवं आवश्यकता
- उत्पाद का सृजन
- ग्राहक के योग्य मूल्य
- विनिमय पद्धति
- विपणन प्रबंध
- विपणन प्रबंध दर्शन
- उत्पादन की अवधारणा
- उत्पाद की अवधारणा
- बिक्री की अवधारणा
- विपणन की अवधारणा
- विपणन के कार्य
- बाज़ार संबंधी सूचना एकत्रित करना तथा उसका विश्लेषण करना
- विपणन नियोजन
- उत्पाद का रूपांकन एवं विकास
- प्रमाणीकरण (मानकीकरण) एवं ग्रेड तय करना
- पैकेजिंग एवं लेबलिंग
- ब्रांडिंग
- ग्राहक समर्थन सेवाएँ
- उत्पाद का मूल्य निर्धारण
- संवर्धन
- वितरण
- परिवहन
- संग्रहण अथवा भंडारण
- उत्पाद
- उत्पादों का वर्गीकरण
- उपभोक्ता वस्तुएँ
- उपभोक्ता वस्तुएँ के प्रकार हैं
- सुविधा उत्पाद
- क्रय योग्य वस्तुएँ
- विशिष्ट उत्पाद
- उत्पादों का टिकाऊपन
- गैर-टिकाऊ उत्पाद
- टिकाऊ उत्पाद
- सेवाएँ
- औद्योगिक उत्पाद
- वर्गीकरण
- ब्रांडिंग
- ब्रांड
- ब्रांड नाम
- ब्रांड चिह्न
- ट्रेड मार्क
- एक अच्छे ब्रांड नाम की विशेषताएँ
- पैकेजिंग
- पैकेजिंग के स्तर
- प्राथमिक पैकेज
- व्दितीयक पैकेजिंग
- परिवहन के लिए पैकेजिंग
- पैकेजिंग का महत्त्व
- पैकेजिंग के कार्य
- लेबालिंग
- उत्पाद का विवरण एवं विषय वस्तु
- उत्पाद अथवा ब्रांड की पहचान करना
- उत्पादों का श्रेणीकरण
- उत्पाद के प्रवर्तन में सहायता लेबल का एक और महत्वपूर्ण कार्य है
- कानून सम्मत जानकारी देना
- मूल्य निर्धारण
- मूल्य/ कीमत निर्धारण के निर्धारक तत्व
- वस्तु की लगत
- उपयोगिता एवं माँग
- बाज़ार में प्रतियोगिता की सीमा
- सरकार एवं कानूनी नियम
- मूल्य निर्धारण का उद्देश्य
- विपणन की पद्धतियाँ
- भौतिक वितरण
- भौतिक वितरण के घटक
- आदेश का प्रक्रियण
- परिवहन
- भंडारण
- संगृहित माल पर नियंत्रण
- प्रवर्तन
- प्रवर्तन मिश्र
- विज्ञापन
- विज्ञापन के लाभ
- विज्ञापन की आलोचना
- लागत में वृद्धि
- सामाजिक मूल्यों में कमी
- क्रेताओं में असमंजस
- घटिया उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहन
- वैयक्तिक विक्रय
- वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ
- वैयक्तिक विक्रय के लाभ
- वैयक्तिक विक्रय की भूमिका
- व्यवसायी को लाभ
- ग्राहकों के लिए महत्त्व
- समाज के लिए महत्त्व
- विक्रय संवर्धन
- विक्रय संवर्धन के लाभ
- विक्रय संवर्धन की सीमाएँ
- विक्रय संवर्धन की सामान्य रूप से प्रयोग में आने वाली क्रियाएँ
- छूट
- कटौती
- वापसी
- उत्पादों का मिश्रण
- अतिरिक्त मात्रा उपहार स्वरूप
- तुरंत ड्रा एवं घोषित उपहार
- लक्की ड्रा/ किस्मत आजमाएँ
- उपयोग योग्य लाभ
- शून्य प्रतिशत पर पुरा वित्तीयन
- नमूनों का वितरण
- प्रतियोगिता
- प्रचार
- जनसंपर्क
- जनसंपर्क की भूमिका
- प्रैस संपर्क
- उत्पाद प्रचार
- निगमित सम्प्रेषण
- लॉबी प्रचार
- परामर्श
- उपभोक्ता संरक्षण का महत्त्व
- उपभोक्ताओं का दृष्टिकोण
- उपभोक्ता की अज्ञानता
- असंगठित उपभोक्ता
- उपभोक्ताओं का चौतरफा शोषण
- व्यवसाय की दृष्टि से
- व्यवसाय का दीर्घ अवधिक हित
- व्यवसाय समाज के संसाधनों का उपयोग करता है
- समाजिक उत्तरदायित्व
- नैतिक औचित्य
- सरकारी हस्तक्षेप
- उपभोक्ताओं को कानूनी संरक्षण
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनिय, 1986
- प्रसंविदा अधिनिय, 1982
- वस्तु विक्रय अधिनिय, 1930
- आवश्यक वस्तु अधिनिय, 1955
- कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण एवं चिन्हांकन) अधिनिय, 1937
- खाद्य मिलावट अवरोध अधिनियम, 1954
- माप तौल मानक अधिनियम, 1976
- ट्रेड मार्क अधिनियम, 1999
- प्रतियोगिता अधिनियम, 2002
- भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
- उपभोक्ताओं के अधिकार
- सुरक्षा का अधिकार
- सूचना का अधिकार
- चयन का अधिकार
- शिकायत का अधिकार
- क्षतिपूर्ति का अधिकार
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
- उपभोक्ता के दायित्व
- उपभोक्ता संरक्षण के तरीके एवं साधन
- व्यवसाय द्वारा स्वयं नियमन
- व्यावसायिक संगठन
- उपभोक्ता जागरूकता
- उपभोक्ता संगठन
- सरकार
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत शिकायत निवारण एजेंसियाँ
- उपभोक्ता
- शिकायत कौन कर सकता है
- जिला फोरम
- राज्य कमीशन
- राष्ट्रीय कमीशन
- उपभोक्ता संगठनों एवं गैर सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका