CBSE Syllabus For Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र): Knowing the Syllabus is very important for the students of Class 11 [११ वीं कक्षा]. Shaalaa has also provided a list of topics that every student needs to understand.
The CBSE Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) syllabus for the academic year 2023-2024 is based on the Board's guidelines. Students should read the Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) Syllabus to learn about the subject's subjects and subtopics.
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CBSE Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) Revised Syllabus
CBSE Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) and their Unit wise marks distribution
CBSE Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) Course Structure 2023-2024 With Marking Scheme
Syllabus
CBSE Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) Syllabus for वित्तीय लेखांकन भाग १
- लेखांकन - एक परिचय
- लेखांकन का अर्थ
- आर्थिक घटनाएं
- पहचान करना, मापना, लेखा-जोखा एवं सम्प्रेषण
- संगठन
- सूचना के इच्छुक उपयोगकर्त्ता
- लेखांकन एक सूचना के स्रोत के रूप में
- लेखांकन की गुणात्मक विशेषताएं
- लेखांकन के उद्देश्य
- व्यावसायिक लेन-देन का हिसाब रखना
- लाभ अथवा हानि की गणना
- वित्तीय स्थिति को प्रदर्शित करना
- उपयोगकर्त्ताओं को सूचनाएं उपलब्ध कराना
- लेखांकन की भूमिका
- लेखांकन के आधारभूत पारिभाषिक शब्द
- इकाई
- लेन-देन
- परिसंपत्तियाँ
- देयताएँ
- पूँजी
- विक्रय
- आगम
- व्यय
- खर्च
- लाभ
- अभिवृद्धि
- हानि
- बट्टा
- प्रमाणक
- माल
- क्रय
- आहरण
- स्टॉक
- देनदार
- लेनदार
- लेखांकन के सैध्दांतिक आधार का परिचय
- सामान्यत: मान्य लेखांकन सिद्धान्त
- आधारभूत लेखांकन संकल्पनाएं
- व्यावसायिक इकाई संकल्पना
- मुद्रा मापन संकल्पना
- सतत व्यापर संकल्पना
- लेखांकन अवधि संकल्पना
- लागत संकल्पना
- द्विपक्षीय संकल्पना
- आगम मान्यता संकल्पना
- आगम व्यय मिलान संकल्पना
- पूर्ण प्रस्तुतिकरण संकल्पना
- समनुरूपता की संकल्पना
- रूढ़िवादिता की संकल्पना
- सारता की संकल्पना
- वस्तुनिष्ठता की संकल्पना
- लेखांकन प्रणालियां
- लेखांकन के आधार
- लेखांकन मानक
- लेखांकन मानकों की आवश्यकता
- लेखांकन मानकों के लाभ
- लेखांकन मानकों की सीमाएँ
- लेखांकन मानकों की प्रयोज्यता
- आई.एफ.आर.एस. की आवश्यकता
- वस्तु एवं सेवा कर
- लेन - देनों का अभिलेखन - 1
- व्यावसायिक सौदे व स्रोत प्रलेख
- लेखांकन प्रमाणक की तैयारी
- लेखांकन समीकरण
- नाम व जमा का प्रयोग
- नाम व जमा के नियम
- प्रारंभिक प्रविष्टि की पुस्तकें
- रोजनामचा
- खाता बही
- रोजनामचे व खाता बही में अंतर
- खातों का वर्गीकरण
- रोजनामचे से खतौनी
- लेन - देनों का अभिलेखन - 2
- रोकड़ बही
- एक स्तंभीय रोकड़ बही
- द्विस्तंभीय रोकड़ बही
- खुदरा रोकड़ बही
- रोकड़ बही का संतुलन
- क्रय (रोजनामचा) पुस्तक
- क्रय वापसी (रोजनामचा) पुस्तक
- विक्रय (रोजनामचा) पुस्तक
- विक्रय वापसी (रोजनामचा) पुस्तक
- मुख्य रोजनामचा
- खातों का संतुलन
- बैंक समाधान विवरण
- बैंक समाधान विवरण की आवश्यकता
- समय में अंतर
- अशुद्धियों के कारण अंतर
- बैंक समाधान विवरण का निर्माण
- रोकड़ बही में समायोजन के बिना बैंक समाधान विवरण बनाना
- समायोजन रोकड़ बही की सहायता से बैंक समाधान विवरण का निर्माण
- तलपट एवं अशुध्दियों का शोधन
- तलपट का अर्थ
- तलपट बनाने के उद्देश्य
- बही खातों की अंकगणितीय शुद्धता का निर्धारण
- अशुद्धियों को ज्ञात करने में सहायता करना
- वित्तीय विवरणों के निर्माण में सहायता करना
- तलपट को तैयार करना
- योग विधि
- शेष विधि
- शेष एवं योग विधि
- तलपट के मिलान का महत्त्व
- अशुद्धियों का वर्गीकरण
- लेख अशुद्धियां
- लोप अशुद्धियाँ
- सैध्दांतिक अशुद्धियाँ
- क्षतिपूरक अशुद्धियाँ
- अशुध्दियों को ज्ञात करना
- अशुद्धियों का संशोधन
- अशुद्धियाँ जो तलपट पर प्रभाव नहीं डालती हैं
- तलपट को प्रभावी करने वाली अशुद्धियाँ
- आगामी लेखांकन वर्ष में अशुद्धियों का शोधन
- ह्रास, प्रावधान और संचय
- ह्रास
- ह्रास का अर्थ
- ह्रास की विशेषताएँ
- ह्रास एवं इसमें मेल खाते शब्द
- रिक्तीकरण
- परिशोधन
- ह्रास के कारण
- क्षय एवं घिसावट अथवा समय की समाप्ति के कारण मूल्य में कमी
- कानूनी अधिकार की समाप्ति
- अप्रचलन
- असमान्य तत्व
- ह्रास की आवश्यकता
- आगम एवं लागत का मिलान
- कर के लिए महत्त्व
- सत्य एवं उचित वित्तीय स्थिति
- कानून का अनुपालन
- ह्रास की राशि को प्रभावित करने वाले तत्व
- परिसम्पत्ति की लागत
- अनुमानित शुद्ध अवशिष्ट मूल्य
- ह्रास मान मूल्य
- अनुमानित उपयोगी जीवनकाल
- ह्रास की राशि की गणना की पद्धतियाँ
- सीधी रेखा पद्धति
- सीधी रेखा विधि के लाभ
- सीधी रेखा विधि की सीमाएं
- क्रमागत पद्धति
- क्रमागत पद्धति के लाभ
- क्रमागत ह्रास विधि की सीमाएं
- सीधी रेखा एवं क्रमागत ह्रासविधि तुलनात्मक विश्लेषण
- ह्रास लगाने के आधार
- ह्रास का वार्षिक प्रभार
- ह्रास एवं मरम्मत व्यय का लाभ-हानि खाते पर भार
- आयकर कानून मान्यता
- उपयुक्तता
- ह्रास के अभिलेखन की पद्धतियां
- परिसम्पति खाते पर ह्रास का लगाना जाना
- ह्रास पर प्रावधान खाता/संचित ह्रास खाता
- परिसम्पत्ति का निपटान/विक्रय
- परिसम्पत्ति निपटान खाते की उपयोगिता
- वर्तमान परिसम्पति में बढ़ोत्तरी एवं विस्तार
- प्रावधान
- प्रावधानों का लेखांकन
- संचय
- संचय एवं प्रावधान में अंतर
- संचय के प्रकार
- आयगत एवं पूँजीगत संचय में अन्तर आयगत एवं पूँजीगत
- संचयों में निम्न के आधार पर अन्तर किया जा सकता है
- संचय का महत्व
- गुप्त संचय
- विनिमय विपत्र
- विनिमय विपत्र की परिभाषा
- विनिमय विपत्र के पक्षकार
- प्रतिज्ञा पत्र
- प्रतिज्ञा पत्र के पक्षकार
- विनिमय विपत्र के लाभ
- विपत्र की परिपक्वता
- आहर्ता/बिलकर्त्ता की पुस्तक में प्रविष्टियाँ
- स्वीकारकर्त्ता/प्रतिज्ञाकर्त्ता की पुस्तक
- विपत्र को बट्टागत (भुनाना) कराना
- विनिमय विपत्र का बेचना
- लेखांकन व्यवहार
- विनिमय विपत्र का अनादरण
- निकराई व्यय
- विपत्र का नवीनीकरण
- विनिमय विपत्र का परिपक्वता तिथि से पूर्व भुगतान
CBSE Class 11 [११ वीं कक्षा] Accountancy (लेखाशास्त्र) Syllabus for वित्तीय लेखांकन भाग २
- पणधारी और उनकी सूचना आवश्यकतायें
- पूँजी और आगम के मध्य भेद
- पूँजीगत व्यय
- प्राप्ति
- पूँजी व आगम के मध्य अन्तर की महत्ता
- वित्तीय विवरण
- व्यापारिक व लाभ और हानि खाता
- व्यापारिक व लाभ और हानि खाते के प्रासंगिक तत्व
- अंतिम प्रविष्टियाँ
- सकल लाभ व निवल लाभ की अवधारणा
- बेचे गये समान की लागत और अंतिम स्टॉक का व्यापारिक खाते में पुनः निरीक्षण
- प्रचालन लाभ
- तुलन पत्र
- तुलन पत्र का निर्माण
- तुलन पत्र की प्रासंगिक मदें
- परिसंपत्तियों और दायित्वों का क्रमबद्धीकरण और समूहीकरण
- प्रारंभिक प्रविष्ट
- समायोजन की आवश्यकता
- समायोजन का प्रभाव - अंतिम स्टॉक
- समायोजन का प्रभाव - बकाया व्यय
- समायोजन का प्रभाव - पूर्वदत्त व्यय
- समायोजन का प्रभाव - उपार्जित आय
- समायोजन का प्रभाव - अग्रिम प्राप्त आय
- समायोजन का प्रभाव - ह्रास
- समायोजन का प्रभाव - डूबत ऋण
- समायोजन का प्रभाव - संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान
- समायोजन का प्रभाव - देनदारों पर बट्टे का प्रावधान
- समायोजन का प्रभाव - प्रबंधक कमीशन
- समायोजन का प्रभाव - पूँजी पर ब्याज
- अपूर्ण अभिलेखों का अर्थ
- अपूर्ण अभिलेखों की विशेषताएं
- अपूर्णता के कारण और सीमायें
- लाभ व हानि का निर्धारण
- अवस्था विवरण का निर्माण
- अवस्था विवरण एवं तुलन-पत्र में अन्तर
- व्यापर एवं लाभ-हानि खाता तथा तुलन-पत्र तैयार करना
- उधार क्रय निर्धारण
- उधार विक्रय का निर्धारण
- प्राप्य विपत्र व देय विपत्र का निर्धारण
- रोकड़ पुस्तक के सारांश द्वारा अनुपलब्ध सूचनाओं का निर्धारण
- कंप्यूटर प्रणाली का अर्थ एवं तत्त्व
- यंत्र सामग्री हार्डवेयर
- प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर)
- उपयोगकर्त्ता
- क्रियाविधियाँ
- डाटा
- संयुक्तिकरण
- कंप्यूटर प्रणाली की क्षमतायें
- गति
- परिशुद्धता
- विश्वसनीयता
- बहुआयामी
- संचयन
- कंप्यूटर प्रणाली की सीमाएं
- सामान्य चेतना का अभाव
- शून्य आई.क्यू.
- निर्णय लेने में असमर्थ
- कंप्यूटर के अंग
- निवेश एकक
- केन्द्रीय प्रक्रम एकक
- निर्गम एकक
- कंप्यूटरीकृत लेखांकन का उद्भव
- सूचना एवं निर्णय
- लेन-देन प्रक्रम संसाधन प्रणाली
- कंप्यूटरीकृत लेखा प्रणाली की विशेषता
- प्रबंधन सूचना प्रणाली व लेखांकन सूचना प्रणाली
- लेखांकन प्रतिवेदन का प्रारूप
- सूचना प्रणाली में डाटा इंटरफेस
- कंप्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली की परिकल्पना
- मानवीय व कंप्यूटरीकृत लेखांकन के मध्य तुलना
- कंप्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली से लाभ
- कंप्यूटरीकृत लेखांकन प्रणाली की सीमायें
- लेखांकन सॉफ्टवेयर के स्रोत
- लेखांकन सॉफ्टवेयर के स्रोत
- लेखांकन पैकेज
- प्रयोग के लिए तैयार पैकेज
- उपभोगतानुरूप पैकेज
- उपयुक्त
- लेखांकन सॉफ्टवेयर के स्रोतों, मुख्य दस्तावेज से पहले सामान्य विचार
- लचीलापन
- संस्थापन तथा देखभाल की लागत
- संगठन का आकार
- सरलता से समायोजित तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता
- उपयोगिता
- आपेक्षित गोपनीयता का स्तर (सॉफ्टवेयर व डाटा)
- आयत/निर्यात डाटा सुविधा
- विक्रेताओं के नाम व योग्यता