बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
Concept: विशेष लेखन-स्वरुप और प्रकार
अभिलाषाओं की राख से तात्पर्य है -
Concept: सूरदास की झोंपड़ी
सूरदास कहाँ तो नैराश्य, ग्लानि, चिंता और क्षोभ के अपार जल में गोते खा रहा था, कहाँ यह चेतावनी सुनते ही उसे ऐसा मालूम हुआ किसी ने उसका हाथ पकड़कर किनारे पर खड़ा कर दिया।
नकारात्मक मानवीय पहलुओं पर अकेले सूरदास का व्यक्तित्व भारी पड़ गया। जीवन मूल्यों की दृष्टि से इस कथन पर विचार कीजिए।
Concept: सूरदास की झोंपड़ी
निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे। उड़ते खग जिस ओर मुँह किए-समझ नीड़ निज प्यारा। बरसाती आँखों के बादल-बनते जहाँ भरे करुणा जल। लहरें टकराती अनंत की-पाकर जहाँ किनारा। हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे। मदिर ऊँघते रहते जब-जगकर रजनी भर तारा। |
Concept: कार्नेलिया का गीत
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए -
भर जलद धरा को ज्यों अपार; मुझ भाग्यहीन की तू संबल |
(1) ‘भर जलद धरा को ज्यों अपार’ पंक्ति द्वारा प्रतिपादित किया गया है - (1)
(क) वैमनस्य
(ख) अनुभव
(ग) स्नेह
(घ) प्रकाश
(2) कवि स्वयं को भाग्यहीन कहकर क्या सिद्ध करना चाहते हैं? (1)
(क) मनचाही प्रसिद्धि न मिलना
(ख) सरोज की आर्थिक दशा
(ग) सरोज ही एकमात्र सहारा
(घ) पारिवारिक सदस्यों से बिछोह
(3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए - (1)
- कवि सरोज को शकुंतला के समान मानते थे।
- पुत्री सरोज की मृत्यु असमय हो गई थी।
- सरोज की मृत्यु अपनी ससुराल में हुई थी।
इन कथनों में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं -
(क) केवल (i)
(ख) (ii) और (iii)
(ग) केवल (ii)
(घ) (ii) और (iii)
(4) ‘हो इसी कर्म पर वज्रपात’ के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि वह - (1)
(क) कष्टदायक जीवन के बाद धार्मिक बन रहे हैं।
(ख) मस्तक पर वज्रपात सहने का साहस कर रहे हैं।
(ग) समस्त जीवन दुख में ही व्यतीत करते रहे हैं।
(घ) प्रतिकूलताओं के आगे आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
(5) दुख ही जीवन की कथा रही के माध्यम से प्रकट हो रही है - (1)
(क) शैशवावस्था
(ख) वृदूधावस्था
(ग) वियोगावस्था
(घ) विश्लेषणावस्था
(6) ‘क्या कहूँ आज, जो नहीं कही!’
पंक्ति के माध्यम से कवि की स्वाभाविक विशेषता बताने के लिए सूक्ति कहीं जा सकती है - (1)
(क) पर उपदेश कुशल बहुतेरे
(ख) बिथा मन ही राखो गोय
(ग) मुझसे बुरा न कोय
(घ) मन के हारे हार है
Concept: सरोज स्मृति
‘मैंने देखा, एक बूँद’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
Concept: मैंने देखा, एक बूँद
‘तोड़ो’ कविता नवसृजन की प्रेरणा है। कथन के आलोक में अपने विचार प्रकट कीजिए।
Concept: तोड़ो
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित काव्य सौंदर्य लिखिए।
पुलकि सरीर सभाँ भए ठाढ़े।
नीरज नयन नेह जल बाढ़े॥
कहब मोर मुनिनाथ निबाहा।
एहि ते अधिक कहौं मैं काहा॥
Concept: भरत-राम का प्रेम
वियोगावस्था में सुख देने वाली वस्तुएँ भी दुख देने लगती हैं। 'गीतावली' से संकलित पदों के आधार पर सिद्ध कीजिए।
Concept: भरत-राम का प्रेम
निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
महीं सकल अनरथ कर मूला। सो सुनि समुझि सहिउँ सब सूला॥ |
Concept: भरत-राम का प्रेम
बारहमासा का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
Concept: बारहमासा
आशय स्पष्ट कीजिए -
जनम अबधि हम रूप निहारल नयन न तिलपित भेल॥
सेहो मधुर बोल स्रवनहि सूनल स्रुति पथ परस न गेल॥
Concept: विद्यापति
आशय स्पष्ट कीजिए।
अधर लगे हैं आनि करि कै पयान प्रान,
चाहत चलन ये सैंदेसो लै सुजान को।
Concept: कवित्त
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए -
बालक के मुख पर विलक्षण रंगों का परिवर्तन हो रहा था, हृदय में कृत्रिम और स्वाभाविक भावों की लड़ाई की झलक आँखों में दीख रही थी। कुछ खाँसकर, गला साफ़ कर नकली परदे के हट जाने पर स्वयं विस्मित होकर बालक ने धीरे से कहा, ‘लड्डू’। पिता और अध्यापक निराश हो गए। इतने समय तक मेरा श्वास घुट रहा था। अब मैंने सुख से साँस भरी। उन सबने बालक की प्रवृत्तियों का गला घोंटने में कुछ उठा नहीं रखा था। पर बालक बच गया।उसके बचने की आशा है क्योंकि वह ‘लड्डू’ की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखाने वाली खड़खड़ाहट नहीं। |
(1) ‘बच्चे के मुख पर रंग बदल रहे थे।’ इस पंक्ति के आधार पर आकलन करने से ज्ञात होता है कि बच्चे में उठ रहे भाव ______ के हैं। (1)
(क) सहृदयता
(ख) घबराहट
(ग) अंतरद्वंद्व
(घ) रोमांचकता
(2) गद्यांश के आधार पर कौन-सा वाक्य सही है? (1)
(क) काठ की अलमारी सदैव सिर दुखाती है।
(ख) शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य किया गया है।
(ग) बच्चों को पढ़ाना अत्यंत सहज कार्य है।
(घ) वृक्ष के हरे पतों का संगीत मधुर होता है।
(3) बालक द्वारा धीरे से लड्डू कहना दर्शाता है कि - (1)
(क) छोटी वस्तु भी पुरस्कार है।
(ख) कृत्रिमता का लबादा उतर गया।
(ग) कृत्रिमता का स्थायित्व संभव है।
(घ) लेखक का उद्देश्य पूरा हो गया।
(4) ‘अब मैंने सुख की साँस भरी’ के माध्यम से कह सकते हैं कि वह - (1)
(क) अत्यंत जागरूक नागरिक हैं।
(ख) बाल मनोविज्ञान से परिचित हैं।
(ग) स्तरानुसार शिक्षा के पक्षधर हैं।
(घ) अपने सुख की कामना करते हैं।
(5) गद्यांश हमें संदेश देता है कि - (1)
(क) स्वाभाविक विकास हेतु सहज एवं आनंदपूर्ण वातावरण होना चाहिए।
(ख) रटंत प्रणाली के कारण बच्चे की हृदय व्यथा चिंताजनक हो जाती है।(ग) बालक में निडरता थी तभी अपनी लड्डू की इच्छा को प्रकट कर पाया है।
(घ) अभिभावक एवं अध्यापकों को बालकों का चहुँमुखी विकास करना चाहिए।
(6) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए - (1)
कथन (A): लड़डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था।
कारण (R): बालक द्वारा लड्डू माँगा जाना वृक्ष के हरे पत्तों के समान इंगित करता है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
Concept: सुमिरिनी के मनके
‘उसके पैर गाँव की ओर बढ़ ही नहीं रहे थे। इसी पगडंडी से बड़ी बहुरिया अपने मैके लौटा आवेगी गाँव छोड़कर चली जावेगी। फिर कभी नहीं आवेगी।’
लेखक संवदिया और बड़ी बहुरिया के माध्यम से समाज के एक बड़े वर्ग का वर्णन करत प्रतीत हो रहे हैं। इसे स्पष्ट करते हुए वर्तमान परिप्रेक्ष्य के साथ संबंध स्थापित कीजिए।
Concept: संवदिया
असगर वजाहत द्वारा लिखी लघुकथाओं में से कौन-सी लघुकथा आपको सर्वाधिक प्रभावित करती है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
Concept: असगर वजाहत
शेर के मुँह में जानवरों का घुसना विसंगति को प्रतिपादित करता है। स्पष्ट कीजिए।
Concept: शेर
‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के लिए कोई दूसरा शीर्षक लिखें तथा इसे चुनने के लिए अपने तर्क दें।
Concept: जहाँ कोई वापसी नहीं
औद्योगीकरण ने पर्यावरण को कैसे प्रभावित किया है? "जहाँ कोई वापसी नहीं" पाठ के आधार पर बताइए।
Concept: जहाँ कोई वापसी नहीं
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
विकास का यह ‘उजला’ पहलू अपने पीछे कितने व्यापक पैमाने पर विनाश का अंधेरा लेकर आया था, हम उसका छोटा-सा जायज़ा लेने दिल्ली में स्थित ‘लोकायन’ संस्था की ओर से सिंगरौली गए थे। सिंगरौली जाने से पहले मेरे मन में इस तरह का कोई सुखद भ्रम नहीं था कि औद्योगीकरण का चक्का, जो स्वतंत्रता के बाद चलाया गया, उसे रोका जा सकता है। शायद पैंतीस वर्ष पहले हम कोई दूसरा विकल्प चुन सकते थे, जिसमें मानव सुख की कसौटी भौतिक लिप्सा न होकर जीवन की जरूरतों द्वारा निर्धारित होती। पश्चिम जिस विकल्प को खो चुका था भारत में उसकी संभावनाएँ खुली थीं, क्योंकि अपनी समस्त कोशिशों के बावजूद अंग्रेजी राज हिंदुस्तान को संपूर्ण रूप से अपनी ‘सांस्कृतिक कॉलोनी’ बनाने में असफल रहा था। |
Concept: जहाँ कोई वापसी नहीं