हमें हॉकी खेलना पसंद है। हॉकी में प्रत्येक टीम में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। इसमें मैदान को दो हिस्सों में बाँटा दिया जाता है। मैदान के दोनों किनारों पर गोल-पोस्ट होते हैं। गोल के सामने डी के आकार का अर्ध गोला बना होता है। इसे 'डी' कहते हैं। इस 'डी' के अंदर बॉल को मारने से यदि बॉल गोल-पोस्ट में चली जाती है, तो गोल माना जाता है। यह खेल 35-35 मिनट की पारियों में खेला जाता है। जो टीम अधिक गोल करती, वह विजयी कहलाती है। मैदान के बीचों-बीच खींची 'सेन्ट्रल रेखा' से इस खेल की शुरुआत होती है। इस खेल में गोल कीपर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। खिलाड़ी, हॉकी की सहायता से बॉल को लेकर आगे बढ़ते हैं और अपनी टीम के लिए गोल करने का प्रयास करते हैं। कुछ रक्षा प्रणाली (डिफेंस) में खड़े रहकर अपने साथी को गोल करने में सहायता करते हैं। उनके विपक्षी अपनी हॉकी से बॉल छिनने का प्रयास करते हैं। उनका यह प्रयास बड़ा आंनदायी होता है। खेल का रोमांच दोनों टीमों के बीच इसी समय देखा जा सकता है। दोनों का यही प्रयास होता है कि सामने वाला गोल न कर पाए।
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