‘शाही केंन्द्र’ शब्द शहर के किस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं, क्या वे उस भाग का सही वर्णन करते हैं?
Solution
विशाल एवं सुदृढ़ किलेबन्दी विजयनगर शहर की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी। हमें इस शहर की तीन-तीन किलेबंदियों का उल्लेख मिलता है। पहली किलेबन्दी के द्वारा केवल शहर को ही नहीं अपितु खेती के कार्य में प्रयोग किए जाने वाले आस-पास का क्षेत्र और जंगलों को भी घेरा गया था। सबसे बाहरी दीवार के द्वारा शहर के चारों ओर की पहाड़ियों को परस्पर जोड़ दिया गया था। दूसरी किलेबन्दी को नगरीय केन्द्र के आंतरिक भाग के चारों ओर किया गया था। एक तीसरी किलेबन्दी शासकीय केन्द्र अथवा ‘शाही केन्द्र’ के चारों ओर की गई थी। इसमें सभी महत्त्वपूर्ण इमारतें अपनी ऊँची चहारदीवारी से घिरी हुई थीं। शाही केन्द्र बस्ती के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित था। उल्लेखनीय है कि ‘शाही केन्द्र’ शब्द का प्रयोग शहर के एक भाग विशेष के लिए किया गया है। इसमें 60 से भी अधिक मंदिर और लगभग 30 महलनुमा संरचनाएँ थीं।
इन संरचनाओं और मन्दिरों के मध्य एक महत्त्वपूर्ण अंतर यह था कि मन्दिरों का निर्माण पूर्ण रूप से ईंट-पत्थरों से किया गया था, किंतु धर्मेतर भवनों के निर्माण में विकारी वस्तुओं का प्रयोग किया गया था। यह भी याद रखा जाना चाहिए कि, ये संरचनाएँ अपेक्षाकृत बड़ी थीं और इनका प्रयोग आनुष्ठानिक कार्यों के लिए नहीं किया जाता था। अंतः क्षेत्र में सर्वाधिक विशाल संरचना, ‘राजा का भवन’ है, किंतु पुरातत्वविदों को इसके राजकीय आवास होने का कोई सुनिश्चित साक्ष्य उपलब्ध नहीं हुआ है। इसमें दो सर्वाधिक प्रभावशाली मंच हैं, जिन्हें सामान्य रूप से ‘सभामंडप’ और ‘महानवमी डिब्बा’ के नाम से जाना जाता है। सभामंडप एक ऊँचा मंच है। इसमें लकड़ी के स्तंभों के लिए पास-पास और निश्चित दूरी पर छेद बनाए गए हैं। इन स्तंभों पर दूसरी मंजिल को टिकाया गया था। दूसरी मंजिल तक पहुँचने के लिए सीढ़ी का निर्माण किया गया था।
महानवमी डिब्बा एक विशाल मंच है जिसका निर्माण शहर के सबसे अधिक ऊँचे स्थानों में से एक पर किया गया था। इसमें एक वार्षिक राजकीय अनुष्ठान किया जाता था जो सितंबर और अक्टूबर के शरद मासों में इस दिन तक चलता रहता था। शाही केन्द्र में अनेक भव्य महल स्थित थे। इनमें से सर्वाधिक सुंदर भवन लोटस महल अथवा कमल महल था। यह नामकरण इस महल की सुंदरता एवं भव्यता से प्रभावित होकर अंग्रेज़ यात्रियों द्वारा किया गया था। संभवतः यह एक परिषद भवन था, जहाँ राजा और उसके परामर्शदाता विचार-विमर्श के लिए मिलते थे। कमल महल के समीप ही हाथियों का विशाल फीलखाना। (हाथियों के रहने का स्थान) था। शाही केन्द्र में अनेक सुंदर मन्दिर थे। इनमें से एक अत्यधिक सुंदर मंदिर हज़ार राम मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है।
‘शाही केंन्द्र’ शब्द का औचित्य :
कुछ विद्वानों का विचार है कि इस स्थान पर इतनी विशाल संख्या में मन्दिर मिले हैं कि इसे संभवत: ‘शाही केंन्द्र’ का नाम देना उचित प्रतीत नहीं होता। किंतु यदि हम निष्पक्षतापूर्वक तथ्यों का अध्ययन करते हैं तो यह भली-भाँति स्पष्ट हो जाता है कि ‘शाही केन्द्र’ शब्द का शहर के एक भाग विशेष के लिए प्रयोग किया जाना सही है। हमें याद रखना चाहिए कि धर्म और धार्मिक वर्गों की विजयनगर साम्राज्य के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। धर्म की कठोर पालना का सिद्धांत विजयनगर साम्राज्य का एक प्रमुख अवयव एवं विशिष्ट लक्षण था।
विजयनगर के शासक इन देव स्थलों में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं से संबंध के माध्यम से अपनी सत्ता को स्थापित करने और वैधता प्रदान करने का प्रयास कर रहे थे। अतः मन्दिरों और संप्रदायों को संरक्षण प्रदान करना उनकी प्रशासकीय नीति का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गया था। इसीलिए शाही केन्द्र में भी अनेक मंदिरों की स्थापना की गई थी। संभवत: हज़ार राम मन्दिर का निर्माण केवल राजा और राजपरिवार के सदस्यों के लिए किया गया था और इसीलिए इसकी स्थापना शाही केंन्द्र में की गई थी।