रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘ भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्यपुस्तक में हैउसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए
Solution
मनुष्य जिज्ञासु प्राणी हैवह अपनों के बारे में जानने को इच्छुक रहता हैउसकी इसी इच्छा के फलस्वरूप शायद पत्र अस्तित्व में आए होंगेपत्रों के आदान-प्रदान का यह सिलसिला कबूतरों से शुरू होकर आज मोबाइल, फैक्स तथा ई-मेल तक पहुँच गया हैयद्यपि संचार के इन आधुनिकतम साधनों ने पत्रों की आवाजाही को प्रभावित भी किया है, परंतु इन सबके बाद भी पत्र अपना अस्तित्व बनाए हुए है और वह लोकप्रिय भी हैग्रामीणजीवन में पत्रों की गहरी पैठ हैवहाँ की अनेक क्रियाएँ डाक विभाग की मदद से ही चलती हैंवहाँ डाकिए को देवदूत के रूप में देखा जाता हैइसी प्रकार पक्षी और बादल भी डाकिए हैं, पर ये भगवान के डाकिए हैंये भगवान के संदेश को हम तक पहुँचाते हैंइन प्राकृतिक डाकियों की लाई चिट्ठियों को हम भले न पढ़ पाएँ पर उनमें प्रेम, सद्भाव और विश्वबंधुत्व का संदेश छिपा होता हैये प्राकृतिक डाकिए किसी स्थान विशेष की सीमा में बँधकर काम नहीं करते हैंये डाकिए लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं करते हैं और सबको समान रूप से लाभान्वित करते हैं