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Answer in Brief
प्रकृति के सौंदर्य का जो चित्र ‘अट नहीं रही है’ कविता उपस्थित करती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
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Solution
‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि नें विभिन्न ऋतुओं के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। जैसे फाल्गुन मास में वृक्षों की डालियों पर हरे पत्तों और लाल कॉपलों के मध्य सुगंधित रंग-बिरंगें पुष्पों की शोभा ऐसी प्रतीत होती है जैसे वृक्षों के गले में सुगंधित पुष्य की मालाएँ पड़ी हैं। यह फाल्गुन की अनुपम प्राकृतिक शोभा सृष्टि के प्राणियों को प्रसन कर देती हैं। वर्षा ऋतु में बादल किसी अनंत अज्ञात स्थल से आकर यकायक आसमान में छा जाते हैं।
वसंतऋतु में बहने वाली शीतल मंदसुगंधित पवन से सारे वातावरण में ताजगी और उत्साह का संचार होता है। इस प्रकार कविता में ‘उत्साह’ शब्द वर्षा ऋतु का एवं ‘अट नहीं रही है’ वाक्य ‘वसंतऋतु’ का प्रतीक बताया है।
Concept: अट नहीं रही है
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