‘पर्यावरण और हम’, इस विषय पर अपना मत लिखिए ।
Solution
यथार्थ में पर्यावरण और जीव अन्योन्याश्रित हैं। एक की दूसरे से पृथक सत्ता की कल्पना भी संभव नहीं है। सभी जीवों का अस्तित्व पर्यावरण पर ही निर्भर करता है। पर्यावरण जीवों को केवल आधार ही नहीं प्रदान करता, वरन उनकी विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए एक माध्यम का भी काम करता है। प्रकृति मानव की सहचरी है। यह स्वभावतः संतुलित पर्यावरण के द्वारा मानव को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। हमारे ऋषि-मुनि प्रकृति की सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध थे। यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण को समाप्त करके पर्यावरण को शुद्ध किए जाने की वैज्ञानिक विधि से विज्ञ थे। मानव इतिहास के प्रारंभ से ही अपने पर्यावरण में रुचि रखता आया है। आदिम समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अस्तित्व हेतु अपने पर्यावरण का समुचित ज्ञान आवश्यक होता था। परंतु आज का मानव स्वार्थ की अंधी दौड़ में पर्यावरण को नष्ट करने पर तुला है। प्रकृति का दोहन करके वह सारी उपलब्धियाँ तत्काल पा लेना चाहता है। वर्तमान में पर्यावरण एक गंभीर समस्या के रूप में हमारे सामने खड़ा है, जिसके लिए शीघ्र ही कुछ न किया गया, तो एक विकट संकट उत्पन्न हो सकता है। प्रकृति से छेड़छाड़ मानव को विनाश की ओर ले जा रही है। उसे समझना होगा कि उसका जीवन तभी तक बच सकता है जब तक जल, जंगल और जानवर बचेंगे। प्रकृति से छेड़छाड करना बंद करना होगा। पर्यावरण से प्रेम करना होगा। उसका संरक्षण करना होगा।