'पालनाघरकीआवश्यकता' पर अपने विचार लिखिए।
Solution
पालनाघर आधुनिक युग की देन है। आज के जमाने में संयुक्त परिवार टूट चुके हैं और टूटते जा रहे हैं। आज का परिवार पति-पत्नी और बच्चे या बच्चों में सीमित हो गया है। शहरों में ऐसे पति-पत्नी के सामने अपने शिशुओं की देखभाल करने की समस्या खड़ी हो गई है, जिनमें से दोनों काम करते हों। काम पर चले जाने के बाद घर में बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं रह जाता। ऐसे लोगों को मजबूर होकर अपने छोटे बच्चों को पालना घर में रखना पड़ता है। आज इस समस्या से पीड़ित दंपतियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इसलिए नौकरीपेशा लोगों के बच्चों की देखभाल करने वालों के रूप में पालनाघर जरूरत बनते जा रहे हैं। इन पालना पालना घर में लोग अपने बच्चों को लेकर निश्चित होकर अपने काम पर जा सकते हैं। पालना घर में महिला-संरक्षिकाएँ इन बच्चों के खान-पान तथा मनोरंजन आदि की देखभाल करती हैं। पालनाघरों का कर्तव्य है कि वे बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें तथा समय-समय पर उनके नित्यकर्म, खाने-पीने तथा मनोरंजन की उचित व्यवस्था करें। पर कुछ पालना घर में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने तथा उन्हें प्रताड़ित करने के भी समाचार मिलते हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। पालनाघर समय की माँग है और अधिक से अधिक अच्छे पालनाघर खुलने चाहिए।