नीचे दिए गए आकृति का निरीक्षण कीजिए व रासायनिक अभिक्रिया स्पष्ट कीजिए।
Solution
लोहे पर जंग लगना आक्सीकरण अभिक्रिया है। लोहे पर जंग, सीधे हवा (आक्सीजन) की लोहे के पृष्ठभाग से अभिक्रिया होकर तैयार नहीं होता। ये जंग विद्युतरासायनिक अभिक्रिया से निर्मित होते हैं। लोहे के पृष्ठभाग के एक भाग में Fe का आक्सीकरण होकर Fe2O3.H2O बनता है, तो दूसरे भाग में आक्सीजन का अपचयन होकर पानी बनता है।
(१) धनाग्र भाग में एनोड के पास Fe का आक्सीकरण होकर Fe2+ निर्माण होता है |
\[\ce{Fe_{(s)} -> Fe^{2+}_{(aq)} + 2e^-}\]
(२) ऋणाग्र भाग में कैथोड के पास O2 का अपचयन होकर पानी का निर्माण होता है।
\[\ce{O2_{(g)} + 4H^+_{(ag)} + 4e- -> 2H2O_{(l)}}\]
जब Fe2+ आयन धनाग्र भाग से स्थानांतरित होता है तब उनकी पानी के साथ अभिक्रिया होकर आक्सीकरण द्वारा Fe3+ आयन का निर्माण होता है | Fe3+ आयनों द्वारा अघुलनशील लाल भूरे रंग के सजल आक्साइड का निर्माण होता है, उसे ही जंग कहते है जो पृष्ठभाग पर जमा होता है।
\[\ce{2Fe^{3+}_{(g)} + 4H2O_{(l)} -> Fe2O3.H2O_{(s)} + 6H^+_{(aq)}}\]
वातावरण में विभिन्न घटकों के कारण आक्सीकरण होता है जिससे धातुएँ कमजोर हो जाती हैं इसे ही क्षरण कहते हैं। लोहे पर जंग लगता है एवं उस पर लाल-भूरे रंग की पर्त निर्मित होती है। इसे ही सामान्यत: जंग लगना कहते हैं। इस कारण लोहे का क्षरण ऐसे शब्द का उपयोग न करते हुए लोहे पर जंग लगना जैसे शब्द का उपयोग किया जाता है।