माटी वाली बुढ़िया की दिनचर्या और रहन-सहन आम लोगों को निस 6 अलग था? ‘माटी वाली’ पाठ के आधार पर लिखिए।
Solution
माटी वाली’ बुढिया शहर से एक कोस दूर झोंपड़ी में रहती थी। यह झोंपड़ी गाँव के ठाकुर की जमीन पर स्थित है। माटी वाली के साथ उसका बीमार अशक्त पति भी रहता है। माटी बेचने से किसी तरह माटी वाली अपना और अपने पति का पेट पालती है। वह सवेरे ही अपना कंटर लिए माटाखान की ओर चल देती है। माटाखान में माटी खोदने भरने के बाद वह शहर आती है और घरों में माटी देती है।
वहाँ मिलने वाली थोड़ी-सी मज़दूरी तथा एक-दो रोटियों के सहारे वह अपनी आजीविका चलाती है। इसी में वह स्वयं खाती है और अपने पति को खिलाती है। वह घोर गरीबी में दिन बिता रही है। इसके विपरीत ठकुराइन और गाँव के ठाकुर जैसे लोग भी हैं जो सुखमय जीवन बिता रहे हैं। उनकी दिनचर्या से माटी वाली की दिनचर्या पूर्णतया अलग है।