‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के लेखक और फ़ादर बुल्के के संबंध, आपकी दृष्टि में कैसे थे? इससे फ़ादर के स्वभाव के विषय में क्या कहा जा सकता है?
Solution
फ़ादर बुल्के मन के संकल्प से संन्यासी थे। सामान्यतः संन्यासी का जीवन वैरागी होता है, उनके मन में किसी के प्रति विशेष लगाव नहीं होता, ठीक इसके विपरीत फ़ादर बुल्के के मन में अपनी माँ तथा परिजनों के प्रति विशेष स्नेह था, उनको देखना वास्तव में करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था और उनसे बातें करना कर्म के संकल्प से भरना था। अपने प्रियजनों के घर वह समय-समय पर उत्सवों एवं संस्कारों में सम्मिलित होते थे। संकट के समय उनसे सहानुभूति रख धैर्य बँधाते थे।संन्यासी की तरह न रहकर आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से उन्होंने लोगों को सद्कार्य के लिए प्रेरित किया। लेखक के विचार में उन्होंने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नवीन छवि प्रस्तुत की।