क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतान्त्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ? - Political Science (राजनीति विज्ञान)

Advertisement Remove all ads
Advertisement Remove all ads
Advertisement Remove all ads
Answer in Brief

क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतान्त्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ?

Advertisement Remove all ads

Solution

नहीं, एकल पार्टी के प्रणाली का भारतीय राजनीती के लोकतान्त्रिक चरित्र पर खराब असर नहीं हुआ। वैसे तो कई बार एकल दलीय प्रभुत्व प्रणाली का राजनितिक लोकतान्त्रिक प्रकृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है और प्रभुत्व प्राप्त दल विपक्षी दलों की आलोचना की परवाह न करके मनमाने ढंग से शासन चलाने लगता है तथा लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने की संभावना विकसित होती है, परन्तु भारत में ऐसा नहीं हुआ। पहले तीन चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व के भारतीय राजनिति पर बुरे प्रभाव नहीं पड़े बल्कि कई बातों के आधार पर यह अच्छा ही हुआ और इसने भारतीय लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक राजनिति तथा लोकतान्त्रिक संस्थानओं को दृढ़ बनाने में भूमिका निभाई। एक प्रभुत्व दलीय व्यवस्था के अच्छे परिणामों की पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों से होती है -

  1. कांग्रस ही उस समय जनता का जाना माना दल था जिसमे जनता विश्वास और जनता की आशाएँ उस से जुडी थीं। अतः मतदाता द्वारा आँख बंद करके उसे मत देना स्वाभविक था। इसने कांग्रेस में भी मनोबल की वृद्धि की और वह राष्ट्रिय आंदोलन के दौरान किए गए वायदों को व्यवहारिक रूप देने में सफल रहा।
  2. उस समय भारत का मतदाता राजनितिक विचारधाराओं के संबंध में पूर्णतः सूचित नहीं था और उसका 18% भाग ही पढ़ा - लिखा था। उसे कांग्रेस में ही आस्था थी और आम आदमी यह समझता था की इस दल से ही कल्याण की आशा की जा सकती है।
  3. उस समय भारत का लोकतंत्र और संसदीय शासन प्रणाली भी अपने शैशवकाल में थी। यदि उस समय कांग्रेस का बहुमत तथा प्रभुत्व न होता और सत्ता की प्राप्ति के लिए खींचातानी होती जैसे की आजकल होती है, गठबंधन बनते हैं, टूटते है और एक वर्ष में ही नए चुनाव भी हुए हैं और संसद तथा विधानसभाओं में नारेबाजी, खींचातानी तथा छींटाकशी होती तो आम आदमी का विश्वास लोकतंत्र तथा संसदीय प्रणाली से ही उठ जाता और लोग कहने लगते की इससे तो अंग्रेजी राज ही अच्छा था।
  4. प्रभुत्व की प्राप्ति के बिना कांग्रेस के लिए प्रगतिशील कदम तथा विकास योजनाओं के कदम उठाना संभव नहीं होता और भारत में भी सैनिक शासन के लिए वातावरण विकसित होता।
  5. प्रभुत्व की स्थिति प्राप्त होने के कारण राजनीति में स्थायित्व आया। विपक्षी दलों द्वारा सरकार की आलोचना भी होती रही और सरकार अपना काम भी करती रही। इसने भारतीय लोकतंत्र, संसदीय शासन प्रणाली और भारतीय राजनीती की लोकतान्त्रिक प्रकृति को मजबूत बनाने में योगदान किया।
Concept: विपक्षी पार्टियों का उद्भव
  Is there an error in this question or solution?
Chapter 2: एक दल के प्रभुत्व का दौर - प्रश्नावली [Page 44]

APPEARS IN

Share
Notifications

View all notifications


      Forgot password?
View in app×