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Long Answer
इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खड़ों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!, उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?
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Solution
- निम्नलिखित संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार हैं-
- अरे वर्ष के हर्ष!- बादलों को ऐसा संबोधन दिया गया है क्योंकि बादल वर्ष में एक बार आते हैं। जब आते हैं, तो पूरी पृथ्वी को बारिश रूपी सौगात दे जाते हैं। वर्षा का जल पाकर किसान, लोग, धरती तथा जीव-जन्तु सब हर्ष से भर जाते हैं।
- मेरे पागल बादल!- बादल मतवाले होते हैं। जहाँ मन करता है, वहीं बरस जाते हैं। पागल व्यक्ति के समान गर्जना करते हैं, हल्ला मचाते हैं और यहाँ से वहाँ घूमते-रहते हैं। इसलिए उन्हें पागल कहा गया है।
- ऐ निर्बंध!- बादल बंधन से मुक्त होते हैं। इन्हें कोई बंधन में नहीं बांध सकता है। जहाँ इनका मन होता है, वहाँ जाते हैं और वर्षा करते हैं।
- ऐ स्वच्छंद!- बादल स्वच्छंद होते हैं। इन्हें कोई कैद में नहीं रख सकता है। स्वच्छंदतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।
- ऐ उद्दाम!- बादल बहुत क्रूर तथा प्रचण्ड होते हैं। वर्षा आने से पूर्व यह आकाश में कोहराम मचा देते हैं। मनुष्य को आकाश में अपने होने की सूचना देते हैं। तेज़ आंधी तथा तूफान चलने लगता है। मनुष्य इनकी उपस्थिति को नकार नहीं सकता है।
- ऐ सम्राट!- बादल सम्राट हैं। वे किसी की नहीं सुनते हैं, स्वतंत्रतापूर्वक घूमते हैं, अपनी शक्ति से लोगों को डरा देते हैं, बंधन मुक्त होते हैं, लोगों का पोषण करने वाले हैं, सारे संसार में विचरण करते हैं। उनके इन गुणों के कारण उन्हें सम्राट कहा गया है।
- ऐ विप्लव के प्लावन!- प्रलयकारी हैं। बादल में ऐसी शक्ति हैं कि वे चाहे तो प्रलय ला सकते हैं। जब बादले फट जाते हैं, तो चारों तरफ भयंकर तबाही मच जाती है। इसी कारण उन्हें ऐ विप्लव के प्लावन कहा गया है।
- ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!- बादल ऐसे सुकुमार शिशु हैं, जो सदियों से हमारे साथ हैं। अपने सुंदर-सुंदर रुपों से ये हमें बच्चे के समान जान पड़ते हैं। इनका यह स्वरूप सदियों से चला आ रहा है।
Concept: काव्य भाग
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