आपकी राय में, क्या उदारीकरण के दूरगामी लाभ उसकी लागत की तुलना में अधिक हो जाएँगे? कारण सहित उत्तर दीजिए।
Solution
उदारवाद के कार्यक्रम के तहत जो परिवर्तन हुए, उन्होंने आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाया और इसके साथ ही भारतीय बाजारों को विदेशी कंपनियों के लिए खोला। माना जाता है कि विदेशी पूँजी के निवेश से आर्थिक विकास होता है और रोजगार बढ़ते हैं। सरकारी कंपनियों के निजीकरण से कुशलता बढ़ती है और सरकार पर दबाव कम होता है। हालाँकि उदारीकरण का असर मिश्रित रहा है, कई लोगों का यह भी मत है कि उदारीकरण का भारतीय परिवेश पर प्रतिकूल असर ही हुआ है और आगे के दिनों में भी ऐसा ही होगा। जहाँ तक मेरा मानना है, लागत और हानि, लाभ से कहीं अधिक ही होगी। सॉफ्टवेयर या सूचना तकनीक अथवा कृषि, जैसे मछली या फल उत्पादन के क्षेत्र में शायद विश्व बाज़ार में लाभ हो सकता है, लेकिन अन्य क्षेत्र; जैसे-ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, तैलीय अनाज आदि विदेशी कंपनियों के उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएँगे।