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Long Answer
आप अपने व्यवहार में प्रायः सामाजिक अनुरूपता का प्रदशर्न कैसे करते है? सामाजिक अनुरूपता के कौन - कौन से निर्धारक है?
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Solution
हम अपने व्यवहार में प्रायः सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन निम्न तरिके से करते हैं: ऐसा लगता है की मानक के अनुसाण करने की प्रवृति नैसर्गिक है और इसकी किसी विशेष व्याख्या की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद हम यह जानना चाहते हैं की क्यों इस प्रकार की प्रवृति नैसर्गिक अथवा स्वतः स्फूर्त होती है।
- मानक व्यवहार के नियमो के एक अलिखित तथा अनौपचारिक समुच्चय को निरूपित करता है जो एक समूह के सदस्यों को यह सुचना प्रदान करता है की विशिष्ट स्थितियों में उनसे क्या अपेक्षित है। यह संपूर्ण स्थिति को स्पष्ट बना देता है। और व्यक्ति तथा समूह दोनों को अधिक सुगमता से कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।
- सामान्यतया लोग असहजता का अनुभव करते हैं यदि उन्हें दुसरो से 'भित्र' समझा जाता है। व्यवहार करने का वैसा तरीका जो व्यवहार के प्रत्याशित ढंग से भिन्न होता है, तो वह दुसरो के द्वारा अनुमोदन एवं नापसंदगी को उतपन्न करता है जो सामाजिक दंड का एक रूप है। यह एक ऐसी चीज है जिससे लोग प्रायः काल्पनिक रूप से डरते हैं। इस प्रकार मानक का अनुसरण करना अनुमोदन प्राप्त करने का सरलतम तरीका है।
- मानक को बहुसंख्यक के विचार एवं विश्वास को प्रतिबिंबित करने वाला समझा जाता है। अधिकांश लोग मानते हैं। की बहुसंख्यक के गलत होने की तुलना में सही होने की संभावना अधिक होती है। इसके एक द्द्ष्टांत को टेलीविजन पर दिखाई जाने वाली प्रश्रोत्तरी में प्रायः देखा जाता है। जब एक प्रतियोगी किसी प्रश्न का सही उत्तर नहीं जनता है तो वह दर्शको की राय ले। सकता है और प्रायः व्यक्ति उसी विकल्प को चुनता है जिसे बहुसंख्या दर्शक चुनते हैं। इसी तर्क के आधार पर यह कहा जा सकता है की लोग मानक के प्रति अनुरूपता का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वे मानते हैं की बहुसंख्यक को सही होना चाहिए।
- अनुरूपता के निर्धारक
- समूह का आकार - अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह बड़े से अपेक्षाकृत छोटा होता है। छोटे समूह में विसामान्य सदस्य (वह जो अनुरूपता प्रदर्शित नहीं करता है) को पहचानना आसान होता है परन्तु एक बड़े समूह में यदि अधिकांश सदस्यों के बिच प्रबल सहमति होती है तो यह बहुसंख्यक समूह को मजबूत बनाता है और इसलिए मानक भी सशक्त होते है। ऐसी स्थिति में सल्पसंख्यक सदस्यों के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक होती है क्योंकि समूह दबाव प्रबल होगा।
- अल्पसंख्यक समूह का आकार - मान लीजिये की रेखाओ के बारे में निर्णय के कुछ प्रयसों के बाद प्रयोज्य यह देखता है की एक दूसरा सहभागी प्रयोज्य की अनुक्रिया से सहमति प्रदर्शित करना प्रारंभ कर देता है। क्या अब प्रयोज्य की अनुक्रिया से सहमति प्रदर्शित करना प्रारंभ कर देता है। क्या अब प्रयोज्य के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावन अधिक है या ऐसा करने की संभावना कम है? जब असहमत अथवा विसंमन्य अल्पसंख्यको का आकार बढ़ता है तो अनुरूपता की संभावना कम होती है। वास्तव में यह समूह में भिन्न मताधरियों या अनुपंथियो की संख्या बढ़ा सकता है।
- कार्य की प्रकृति - ऐश के प्रयोग में प्रयुक्त कार्य में ऐसे उत्तर की अपेक्षा की जाती है जिसका सत्यापन किया जा सकता है और वह गलत अथवा सही हो सकता है। मान लीजिये की प्रायोगिक कार्य में किसी विषय के बारे में मत प्रकट करना निहित है। ऐसी स्थिति में कोई भी उत्तर सही या गलत नहीं होता है। किसी स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना अधिक है, पहली स्थिति जिसमे गलत या सही उत्तर की तरह कोई चीज हो अथवा दूसरी स्थिति जिसमे बिना किसी सही या गलत उत्तर के व्यापक रूप से उत्तर बदले जा सकते हो? संभव है की सही अनुमान लगाया होगा; दूसरी स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना कम है।
- व्यवहार की सार्वजनिक या व्यक्तिगत अभिव्यक्ति - ऐश की प्राविधि में समूह के सदस्यों को सार्वजनिक रूप से अपनी अनुक्रिया देने के लिए कहा जाता है अर्थात सभी सदस्य जानते है की किसी व्यक्ति ने क्या अनुक्रिया दी है। यद्यपि, एक दूसरी स्थिति भी हो सकती है (उदाहरण, गुप्त मतपत्र द्वारा मतदान करना)
- व्यक्तित्व - ऊपर वर्णित दशाएं यह प्रदर्शित करती हैं। की कैसे स्थितिपरक विशेषताएँ प्रदर्शित अनुरूपता के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण है। कुछ व्यक्तियों का व्यक्तित्व अनुरूपतापरक होता है। अधिकांश स्थितियों में दूसरे लोग जो कहते है या करते हैं। उसके अनुसार अपने व्यवहार को परिवर्तित करने की ऐसे व्यक्तियों में एक प्रवृति पाई जाती है।
Concept: अनुरूपता, अनुपालन, एवं आज्ञापालन
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