सड़कों पर काम करना

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नीचे लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों की जिंदगी का विवरण दिया गया है। इसे पढ़िए और आपस में चर्चा कीजिए कि लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के जीवन की क्या स्थिति है?

लेबर चौक पर जो मज़दूर रहते हैं उनमें से ज्यादातर अपने रहने की स्थायी व्यवस्था नहीं कर पाते और इसलिए वे चौक के पास फुटपाथ पर सोते हैं या फिर पास के रात्रि विश्राम गृह (रैन बसेरा) में रहते हैं। इसे नगरनिगम चलाता है और इसमें छः रुपया एक बिस्तर का प्रतिदिन किराया देना पड़ता है। सामान की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम न रहने के कारण वे वहाँ के चाय या पान-बीड़ी वालो की दुकानों को बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनके पास वे पैसा जमा करते हैं और उनसे उधार भी लेते हैं। वे अपने औज़ारों को रात में उनके पास हिफाजत के लिए छोड़ देते हैं। दुकानदार मजदूरों के सामान की सुरक्षा के साथ ज़रूरत पड़ने पर उन्हें कर्ज भी देते हैं। 

स्रोत : हिंदू ऑन लाइन, अमन सेठी

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