गुरुबानी

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निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए:

तेरी गति मिति तूहै जाणहि किआ को आखि वखाणै
तू आपे गुपता, आपे परगटु, आपे सभि रंग माणै
साधिक सिध, गुरू बहु चेले खोजत फिरहि फुरमाणै
मागहि नामु पाइ इह भिखिआ तेरे दरसन कउ कुरबाणै
अबिनासी प्रभि खेलु रचाइआ, गुरमुखि सोझी होई।
नानक सभि जुग आपे वरतै, दूजा अवरु न कोई ।।

गगन मै थालु रवि चंदु दीपक बने।
तारिका मंडल जनक मोती।
धूपु मलआनलो, पवणु चवरो करे,
सगल बनराइ फूलंत जोती।
कैसी आरती होई।। भव खंडना, तेरी आरती।
अनहता सबद वाजंत भेरी ।।

(१) कृति पूर्ण कीजिए: (२)

(२) उचित मिलान कीजिए: (२)

(१) ईश्वर काल
(२) आकाश प्रभु
(३) समय खोजता
(४) खोज गगन

(३) ‘विद्यार्थी जीवन में गुरु का महत्व’ इस विषय पर अपने विचार ४० से ५० शब्दों में लिखिए। (२)

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